हरियाली तीज के गीत: सावन की खुशियों का जश्न
हरियाली तीज गीत लिरिक्स
हरियाली तीज गीत लिरिक्स: हरियाली तीज के गीत उन महिलाओं के दिलों से जुड़े होते हैं, जो इस त्योहार को केवल पूजा के रूप में नहीं, बल्कि एक उत्सव के रूप में मनाती हैं।
सावन की बारिश, झूला झूलती सहेलियां, हरे रंग की साड़ियों में सजी महिलाएं और उनके बीच गूंजते मधुर लोकगीत – यही तो हरियाली तीज का असली आनंद है!
इस वर्ष, हरियाली तीज 27 जुलाई को मनाई जाएगी। इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं, निर्जला व्रत रखती हैं और अपने पतियों की लंबी उम्र की कामना करती हैं। पूजा के बाद उत्सव का माहौल बनता है, जहां लोकगीतों की मिठास सावन की ठंडी हवाओं में घुल जाती है।
इस लेख में हम आपके लिए कुछ सुंदर हरियाली तीज गीत लिरिक्स प्रस्तुत कर रहे हैं, जिन्हें आप महिला कीर्तन, सांस्कृतिक कार्यक्रम या घर की महफिल में गाकर इस पर्व को खास बना सकती हैं।
हरियाली तीज गीत: “झुला झूल रही सब सखिया”
झुला झूल रही सब सखिया, आई हरियाली तीज आज,
राधा संग में झूले कान्हा, झूमे अब तो सारा भाग,
नैनं भर के रस का प्याला, देखे श्यामा को नंद लाला,
घन बरसे उमड़ उमड़ के, देखो नित करे ब्रिज बाला,
छमछम करती ये पायलियाँ, खोले मन के सारे राज,
झुला झूल रही सब सखिया, आई हरियाली तीज आज।
यह गीत सावन की रिमझिम और झूले के आनंद को बखूबी व्यक्त करता है। इसे तीज समारोह की शुरुआत में गाया जाता है।
“नांनी नांनी बूंदियां”
नांनी नांनी बूंदियां, हे सावन का मेरा झूलणा,
एक झूला डाला मैंने बाबुल के राज में,
संग की सहेली, हे सावन का मेरा झूलणा,
ए झूला डाला मैंने भैया के राज में,
गोद भतीजा, हे सावन का मेरा झूलणा।
यह गीत उस भावनात्मक जुड़ाव को दर्शाता है जो एक स्त्री को अपने मायके से होता है। गीत में झूले के माध्यम से भावनाएं झलकती हैं।
पिया की याद में भीगे बोल
अरी बहना! छाई घटा घनघोर, सावन दिन आ गए।
उमड़-घुमड़ घन गरजते, ठंडी-ठंडी पड़त फुहार,
बादल गरजे, बिजली चमकती, बरसत मूसलधार।
सखियां तो हिलमिल झूला झूलती, अरी बहना! हमारे पिया परदेस।
लिख-लिख पतियां मैं भेजती, अजी राजा सावन की आई बहार।
इस गीत में एक स्त्री का विरह है जो सावन की सुंदरता में अपने पिया की कमी को महसूस कर रही है। यह गीत भावनात्मक रूप से हर महिला को जोड़ देता है।
राधे-कृष्ण प्रेम में डूबा गीत
सावन का महीना, झुलावे चित चोर,
धीरे झूलो राधे, पवन करे शोर,
मनवा घबराए मोरा, बहे पूरवैया,
झूला डाला है नीचे कदम्ब की छैयां…
मेघवा तो गरजे, बोले कोयल कारी,
पाछवा में पायल बाजे, नाचे बृज की नारी…
यह गीत राधा-कृष्ण के प्रेम और सावन की रोमांटिकता को दर्शाता है। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में इसे बड़े चाव से गाया जाता है।
हरियाली तीज गीतों का महत्व
हरियाली तीज गीत लिरिक्स सावन की मस्ती और तीज के त्योहार को जीवंत कर देते हैं। महिलाएं झूला झूलते हुए, मेंहदी रचाते हुए इन लोकगीतों को गाकर अपने अनुभव को साझा करती हैं।
‘झुला झूल रही सब सखिया’, ‘नांनी नांनी बूंदियां’, ‘सावन दिन आ गए’ और ‘सावन का महीना’ जैसे गीत हर तीज महफिल में रंग भर देते हैं।