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हलषष्ठी: बलराम जयंती का महत्व और पूजा विधि

हलषष्ठी, जिसे बलराम जयंती के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बलराम जी की पूजा की जाती है, और महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए व्रत करती हैं। जानें इस पर्व का महत्व, पूजा विधि और कब मनाया जाएगा।
 

हलषष्ठी का परिचय

हलषष्ठी, जिसे हरछठ या बलराम जयंती के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है, जब भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम जी की पूजा की जाती है। बलराम जी को हलधर भी कहा जाता है, क्योंकि उनका मुख्य शस्त्र हल था। इस दिन महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और समृद्धि के लिए व्रत करती हैं। बलराम जयंती के अवसर पर जुताई से उत्पन्न अन्न का सेवन नहीं किया जाता है।


हलषष्ठी 2025

हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि 14 अगस्त 2025 को सुबह 04:23 बजे प्रारंभ होगी और 15 अगस्त 2025 को सुबह 02:07 बजे समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार, यह व्रत 14 अगस्त को मनाया जाएगा।


पूजा विधि

हलषष्ठी व्रत की पूजा से संतान को सुख और लंबी आयु की प्राप्ति होती है। इस दिन सुबह जल्दी स्नान कर साफ कपड़े पहनें। फिर महुआ की दातुन करें। पूजा स्थल को साफ करके लकड़ी की चौकी पर साफ कपड़ा बिछाएं। चौकी पर भगवान श्रीकृष्ण और बलराम जी की मूर्ति या तस्वीर रखें। आप बलराम जी के हल की छोटी प्रतिकृति भी रख सकते हैं। संकल्प लें कि आप यह व्रत अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए कर रहे हैं।


भगवान को दूर्वा, तुलसी, फल, मिठाई, महुआ आदि अर्पित करें। हलषष्ठी व्रत कथा का पाठ करें और बलराम जी तथा भगवान श्रीकृष्ण की आरती करें। इसके अलावा, आंगन या छत पर हलषष्ठी वाली घास लगाना न भूलें।


व्रत का महत्व

हलषष्ठी व्रत का उद्देश्य संतान की लंबी उम्र, स्वास्थ्य और सुख की प्राप्ति है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, बलराम जी शेषनाग के अवतार माने जाते हैं और वे शक्ति तथा धर्म के प्रतीक हैं। इस व्रत को करने से बच्चों को डर, बीमारियों और बुराइयों से सुरक्षा मिलती है।