हिंदी दिवस 2025: एकता और संस्कृति का प्रतीक
हिंदी दिवस का महत्व
हिंदी दिवस 2025: हर वर्ष 14 सितंबर को देशभर में हिंदी दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री और विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने देशवासियों को शुभकामनाएं दीं और हिंदी को राष्ट्र की आत्मा, संस्कृति और एकता का प्रतीक बताया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हिंदी केवल संवाद का माध्यम नहीं है, बल्कि यह हमारी पहचान और संस्कारों की जीवंत धरोहर है। उन्होंने इसे एकता की भाषा बताते हुए कहा कि यह देश के सांस्कृतिक और सामाजिक ताने-बाने को मजबूत करने में सहायक है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का संदेश
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हिंदी आज प्रौद्योगिकी, विज्ञान और अनुसंधान की भाषा के रूप में उभर रही है। उन्होंने उल्लेख किया कि स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आपातकाल तक, हिंदी ने देशवासियों को एकजुट किया है और भविष्य में आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
अन्य नेताओं के विचार
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और एस जयशंकर: नितिन गडकरी ने कहा कि हिंदी हमारी संस्कृति और परंपराओं का अभिन्न हिस्सा है, जबकि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इसे वैश्विक स्तर पर संस्कृति और परंपराओं के प्रति रुचि का प्रतीक बताया।
CM योगी आदित्यनाथ और CM धामी: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हिंदी को अस्मिता की प्रहरी और एकता का आधार बताया। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे राष्ट्र की चेतना और गौरव का प्रतीक मानते हुए आम जीवन में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देने का आह्वान किया।
असम और बिहार के मुख्यमंत्री
असम के CM हिमंत बिस्वा सरमा: उन्होंने हिंदी की सरलता और शालीनता को रेखांकित किया। बिहार के CM नीतीश कुमार: ने इसे राष्ट्रीय अस्मिता की पहचान बताते हुए कहा कि बिहार में हिंदी राजभाषा है और गर्व से अपनाई जाती है।
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा का संदेश
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि हिंदी स्वतंत्रता संग्राम में देश की एकता का आधार बनी और आज भी संस्कारों और जीवन मूल्यों की संवाहक है। उन्होंने विश्वास जताया कि हिंदी आगे भी राष्ट्र निर्माण में योगदान देती रहेगी। हिंदी दिवस पर नेताओं के इन संदेशों ने यह स्पष्ट किया कि यह भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि राष्ट्रीय एकता, सांस्कृतिक विरासत और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की एक अहम धुरी है।