पोहा: एक स्वास्थ्यवर्धक नाश्ता और आयुर्वेदिक सेवन विधि
पोहा: एक हल्का और पौष्टिक नाश्ता
नई दिल्ली: पोहा एक स्वादिष्ट और हल्का नाश्ता है, जो स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी है। चावल से तैयार किया जाने वाला यह व्यंजन जल्दी पकता है और आसानी से पच जाता है, इसलिए यह भारत के विभिन्न क्षेत्रों जैसे महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ में नाश्ते का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। आयुर्वेद के अनुसार, सही समय और तरीके से लिया गया पोहा शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है, पाचन को संतुलित करता है और मन को हल्का महसूस कराता है।
आयुर्वेद में पोहा को स्निग्ध और हल्का भोजन माना जाता है। इसका गुण थोड़ा भारी लेकिन शीतल और मधुर होता है, जो पित्त और वात को संतुलित करता है। पोहा तुरंत ऊर्जा देने वाला भोजन है, जिससे सुबह जल्दी थकान नहीं होती। हल्का होने के कारण यह पेट पर बोझ नहीं डालता और व्यायाम या लंबी यात्रा से पहले लेने पर ऊर्जा का अच्छा स्रोत बनता है। इसमें कम तेल और सब्जियां डालने से यह वजन नियंत्रित रखने में भी मदद करता है।
इसके अतिरिक्त, पोहा आयरन का एक प्राकृतिक स्रोत है, जो गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद है और डायबिटीज रोगियों के लिए भी सुरक्षित है क्योंकि यह धीरे-धीरे ऊर्जा रिलीज करता है। पानी में भिगोकर बनाने से यह शरीर को हाइड्रेटेड और ठंडा रखता है।
पोहा खाने का आयुर्वेदिक तरीका भी विशेष है। सुबह नाश्ते में ताजे नींबू का रस, हरी सब्जियां, मूंगफली या तिल मिलाकर सेवन करने से पोषण और ऊर्जा दोगुना हो जाती है। दही के साथ पोहा गर्मियों में ठंडक देता है, जबकि सर्दियों में गुड़ मिलाकर इसे खाने से यह रक्तवर्धक और ऊर्जा प्रदान करता है। थकान दूर करने के लिए नींबू, काली मिर्च और हरी धनिया, पाचन सुधारने के लिए अदरक और हल्दी, एनीमिया में मूंगफली और पालक डालकर पोहा बनाया जा सकता है। सर्दी-जुकाम में अदरक और काली मिर्च मिलाकर गरम पोहा शरीर को गर्मी देता है।
हालांकि, ज्यादा तेल में तला हुआ पोहा या रातभर रखा पोहा पचने में भारी हो जाता है और कफ बढ़ा सकता है। डायबिटीज रोगियों को मीठा पोहा सीमित मात्रा में ही लेना चाहिए।