Google Maps का नया AI फीचर: ड्राइविंग को बनाएगा और भी आसान
गूगल मैप्स की नई सुविधा
नई दिल्ली: गूगल मैप्स आज के समय में सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले नेविगेशन ऐप्स में से एक है, जिसे हर महीने लगभग 2 बिलियन से अधिक लोग उपयोग करते हैं। यह ऐप उपयोगकर्ताओं को सड़कों पर सही रास्ता खोजने और ट्रैफिक से बचने में मदद करता है। हालांकि, कभी-कभी यह गलत लोकेशन भी दिखा देता है, जिससे हादसे हो सकते हैं। ऐसे मामलों की खबरें अक्सर सामने आती हैं। लेकिन गूगल लगातार अपने मैप्स को बेहतर बनाने के लिए नए फीचर्स जोड़ता रहता है। हाल ही में, कंपनी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपने नए फीचर की घोषणा की है, जो ड्राइविंग अनुभव को और सरल बनाएगा।
AI-पावर्ड लाइव लेन गाइडेंस फीचर
गूगल अब AI-पावर्ड लाइव लेन गाइडेंस फीचर पेश कर रहा है। यह फीचर कारों में बिल्ट-इन गूगल सिस्टम के साथ काम करेगा। इसकी विशेषता यह है कि गूगल मैप्स अब सड़क को उसी तरह देख सकेगा जैसे एक इंसान ड्राइवर देखता है। यह न केवल सड़क पर वाहनों की स्थिति को समझेगा, बल्कि यह भी बताएगा कि किस लेन में चलना सही रहेगा। इस फीचर से ड्राइवरों को रियल-टाइम में सटीक और कस्टमाइज्ड नेविगेशन सहायता मिलेगी। उदाहरण के लिए, यदि आप सड़क की बाईं लेन में हैं और आपको दाईं ओर मुड़ना है, तो लाइव लेन गाइडेंस आपकी स्थिति को पहचानकर आपको सही समय पर आवाज़ और दृश्य संकेतों के माध्यम से मार्गदर्शन करेगा। इससे ड्राइवर को ट्रैफिक में बिना रुकावट के सुरक्षित तरीके से लेन बदलने में मदद मिलेगी और दुर्घटनाओं की संभावना कम होगी।
गूगल का वीडियो प्रदर्शन
गूगल ने अपने @NewsFromGoogle अकाउंट से एक GIF वीडियो साझा किया है, जिसमें दिखाया गया है कि यह फीचर कैसे कार्य करेगा। वीडियो में दिखाया गया है कि वाहन में मौजूद AI सिस्टम सड़क की लेन मार्किंग, ट्रैफिक संकेत और रोड साइन का विश्लेषण करता है। इसके अलावा, कार के फ्रंट-फेसिंग कैमरा की मदद से सड़क की स्थिति को पहचानकर गूगल मैप्स को रियल-टाइम डेटा प्रदान करता है। यह सभी जानकारी गूगल के शक्तिशाली नेविगेशन सिस्टम से तुरंत जुड़ जाती है, जिससे ड्राइविंग और भी आसान और स्मार्ट हो जाती है।
लॉन्च की जानकारी
इस फीचर की शुरुआत अमेरिका के Polestar 4s वाहनों में की जा रही है और जल्द ही इसे स्वीडन में भी पेश किया जाएगा। फिलहाल, भारत में इस फीचर के आने की कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है। हालांकि, यदि इसे भारत में लागू किया गया, तो यह हाईवे और एक्सप्रेसवे पर ड्राइविंग के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है। शहरों की जटिल ट्रैफिक स्थिति में यह कितना प्रभावी होगा, यह भविष्य में देखा जाएगा।