AI में लैंगिक भेदभाव: क्या पुरुषों के लिए खतरा बढ़ रहा है?
AI और लैंगिक भेदभाव का नया विवाद
डिजिटल युग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन इसके साथ ही नए विवाद भी उभर रहे हैं। हालिया अध्ययन में यह दावा किया गया है कि AI जॉब चयन प्रक्रिया में लैंगिक भेदभाव कर रहा है, जो पुरुषों के खिलाफ है। अध्ययन में यह बताया गया है कि योग्य महिलाओं को AI ने प्राथमिकता दी।
रिसर्च का महत्व
न्यूजीलैंड इंस्टीट्यूट ऑफ स्किल्स एंड टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर डेविड रोजाडो द्वारा किए गए इस अध्ययन ने AI के भविष्य पर गंभीर प्रश्न उठाए हैं। उन्होंने कहा कि कई बड़ी कंपनियां हायरिंग के लिए AI टूल्स पर निर्भर हैं, लेकिन यदि ये टूल्स पक्षपाती हैं, तो यह एक गंभीर समस्या बन सकती है।
महिलाओं को मिली प्राथमिकता
प्रोफेसर रोजाडो ने 22 प्रमुख लैंग्वेज मॉडल्स जैसे ChatGPT, Gemini और Grok का परीक्षण किया। उन्होंने समान प्रोफाइल्स के साथ महिलाओं और पुरुषों के नामों से रिज्यूमे तैयार किए और हर बार महिला उम्मीदवार को प्राथमिकता दी गई। यह पैटर्न सभी मॉडल्स में देखा गया, चाहे वह किसी भी प्लेटफॉर्म पर हो।
भेदभाव के कारणों की खोज
रोजाडो ने न्यूजवीक को बताया कि यह पैटर्न मॉडल के प्री-ट्रेनिंग डेटा, एनोटेशन प्रक्रिया या सिस्टम-लेवल गार्डरेल्स के बीच जटिल इंटरैक्शन को दर्शा सकता है। हालांकि, इस व्यवहार के पीछे की असली वजह अभी तक स्पष्ट नहीं है।
हायरिंग केस का आंकड़ा
इस अध्ययन में 30,000 फेक जॉब सिमुलेशन किए गए, जिसमें 56.9% बार महिला उम्मीदवारों को चुना गया। यह आंकड़ा लैंगिक तटस्थता के सिद्धांत (50-50) से भिन्न है, जो दर्शाता है कि AI के निर्णय लैंगिक रूप से संतुलित नहीं हैं।
पुरुषों के लिए बढ़ता खतरा
प्रोफेसर रोजाडो ने चेतावनी दी कि यह भेदभाव समय के साथ और बढ़ सकता है, जिससे योग्य पुरुष उम्मीदवारों के लिए अवसर कम हो सकते हैं। जब रिज्यूमे में जेंडर कॉलम जोड़ा गया, तो महिलाओं को चुने जाने की संभावना और भी बढ़ गई।