अमेरिका का भारत पर टैरिफ का दबाव: रूस से तेल खरीदने पर चेतावनी
भारत पर अमेरिका का टैरिफ खतरा
टैरिफ खतरा भारत के लिए: अमेरिका ने भारत को रूस से तेल खरीदने के मामले में चेतावनी दी है। व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने आरोप लगाया है कि भारत रूस से सस्ता तेल खरीदकर लाभ उठा रहा है। उन्होंने भारत को 'क्रेमलिन के लिए लॉन्ड्रोमैट' कहा और चेतावनी दी कि यदि भारत ने रूस से आयात जारी रखा, तो भारतीय आयात पर टैरिफ दोगुने हो सकते हैं।
यूक्रेन युद्ध में भारत की भूमिका
नवारो ने बताया कि भारत का रूस से तेल आयात यूक्रेन युद्ध से पहले 1% था, जो अब बढ़कर 35% तक पहुंच गया है। इससे रूस को युद्ध जारी रखने में मदद मिल रही है। उन्होंने कहा कि भारत पर 25% टैरिफ इसलिए लगाया गया है क्योंकि वह अमेरिका को व्यापार में धोखा दे रहा है। फरवरी 2022 में भारत ने रूस से नाममात्र का तेल खरीदा था, लेकिन अब यह खरीद 30 से 35 प्रतिशत तक पहुंच गई है।
अमेरिकी आयात पर भारतीय टैरिफ
रूस के रिफाइनर इटली के रिफाइनरों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। वे कच्चा तेल बड़ी छूट पर देते हैं और रिफाइंड उत्पादों को ऊंचे दामों पर बेचते हैं। भारत ने अमेरिका पर सबसे अधिक टैरिफ लगाया है, जिससे व्यापार घाटा बढ़ रहा है। अमेरिका की कंपनियों को नुकसान हो रहा है, और भारत उसी पैसे से रूस से कच्चा तेल खरीदता है।
शांति का रास्ता भारत से
रूस कच्चा तेल बेचकर हथियार बना रहा है, जिसका उपयोग वह यूक्रेन पर हमले में कर रहा है। अमेरिका को यूक्रेन की मदद करनी पड़ रही है, जिसके लिए अमेरिकी नागरिकों को अधिक कर देना पड़ रहा है। राष्ट्रपति ट्रंप को भारत के प्रधानमंत्री मोदी से बातचीत करनी चाहिए ताकि रूस और यूक्रेन के बीच शांति स्थापित हो सके।
यूरोपीय संघ का अमेरिका पर प्रभाव
नवारो ने कहा कि यूरोपीय संघ अमेरिका का अनुचित लाभ उठा रहा है। जब अमेरिका ने विश्व व्यापार संगठन में कृषि मुद्दा उठाया, तो यूरोपीय संघ ने सहयोग करने से इनकार कर दिया। यूरोपीय संघ के साथ व्यापार घाटा अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। ट्रंप को टैरिफ के मुद्दे को सुलझाना चाहिए, न केवल अमेरिका के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए।