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अमेरिका का यमन में हूथी विद्रोहियों के खिलाफ सैन्य अभियान: खर्च और चुनौतियाँ

अमेरिका ने यमन के हूथी विद्रोहियों के खिलाफ एक बड़े सैन्य अभियान की शुरुआत की है, जिसमें उसने अपनी नौसेना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा तैनात किया है। हालांकि, इस अभियान पर भारी खर्च के बावजूद, अमेरिका को अपेक्षित सफलता नहीं मिली है। हूथियों की रणनीति और क्षेत्रीय समर्थन ने इस अभियान को चुनौती दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका को इस संकट का समाधान बिना और संसाधन गंवाए निकालना होगा। जानें इस अभियान की पूरी कहानी और अमेरिका की रणनीति के बारे में।
 

यमन में अमेरिका का सैन्य अभियान

अमेरिका ने 2023 से यमन के हूथी विद्रोहियों के खिलाफ एक व्यापक सैन्य अभियान शुरू किया है। वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस अभियान में अमेरिका ने अपनी नौसेना का लगभग 10 प्रतिशत, यानी करीब 30 युद्धपोत तैनात किए हैं। इसके साथ ही, हथियारों और गोला-बारूद पर लगभग 1.5 बिलियन डॉलर (लगभग 12,000 करोड़ रुपये) खर्च किए गए हैं।


महंगा अभियान, सीमित सफलता

हथियारों का भारी खर्च, फिर भी सफलता नहीं

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि इस अभियान पर इतना बड़ा खर्च होने के बावजूद अमेरिका को अपेक्षित सफलता नहीं मिली है। हूथी हमले पूरी तरह से नहीं रुके हैं, और अभियान अब लगभग ठहर सा गया है। WSJ का कहना है कि अमेरिका का यह अभियान उसके हथियार भंडार को कई वर्षों तक प्रभावित कर सकता है।


हूथियों की रणनीति और अमेरिका की चुनौती

हूथियों की रणनीति और अमेरिका की चुनौती

हूथी विद्रोहियों ने रेड सी और उसके आस-पास के क्षेत्रों में वाणिज्यिक जहाजों को निशाना बनाकर वैश्विक व्यापार को प्रभावित किया है। अमेरिका ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर 'ऑपरेशन प्रॉस्पेरिटी गार्जियन' की शुरुआत की थी, लेकिन विद्रोहियों की गुरिल्ला रणनीति और क्षेत्रीय समर्थन के कारण इस ऑपरेशन को पूरी तरह सफल नहीं माना जा रहा है।


अगले कदम क्या होंगे?

अब आगे क्या?

विशेषज्ञों का मानना है कि इतने बड़े सैन्य अभियान के बावजूद हूथियों की गतिविधियों का जारी रहना अमेरिका की सैन्य नीति और खर्च की दिशा पर सवाल उठाता है। अब अमेरिका के सामने यह चुनौती है कि वह इस संकट को बिना और संसाधन गंवाए कैसे हल करे।