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आरबीआई की MPC बैठक: रेपो रेट में कटौती की संभावना

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने अपनी तीन दिवसीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक शुरू की है, जिसमें रेपो रेट में कटौती की संभावना पर चर्चा की जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कटौती 0.25% तक हो सकती है, जिससे लोन की लागत में कमी आएगी। पिछले कुछ महीनों में लगातार कटौतियों के बाद, यह चौथी बार होगा जब RBI ब्याज दरों में कमी कर सकता है। जानें इस बैठक के संभावित परिणाम और आर्थिक प्रभाव के बारे में।
 

आरबीआई की MPC बैठक की शुरुआत

आरबीआई MPC बैठक: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने सोमवार को गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में अपनी तीन दिवसीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक आरंभ की। आज, 6 अगस्त को, गवर्नर मौद्रिक नीति की रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। इस बार भी MPC से रेपो रेट में कटौती की उम्मीद जताई जा रही है। यदि ऐसा होता है, तो यह लगातार चौथी बार होगा जब रेपो रेट में कमी की जाएगी। उल्लेखनीय है कि फरवरी, अप्रैल और जून में भी रेपो रेट में कटौती की गई थी। ये कटौतियाँ आम जनता के लिए लाभकारी साबित होंगी और मांग में वृद्धि का कारण बनेंगी। पिछली MPC बैठक में, जून में, रेपो रेट को 50 आधार अंकों की कटौती कर 5.50 प्रतिशत पर लाया गया था।


रेपो रेट में संभावित कटौती

विशेषज्ञों के अनुसार, MPC एक बार फिर रेपो रेट में कटौती कर सकती है, जो कि 0.25% तक हो सकती है। इससे लोन की लागत में कमी आएगी। जानकारों का मानना है कि ट्रंप के टैरिफ और वैश्विक अनिश्चितता के कारण भारत की GDP वृद्धि पर असर पड़ सकता है। ऐसे में RBI एक अंतिम कटौती कर सकता है ताकि विकास को समर्थन मिल सके।


MPC के सदस्यों की संख्या

MPC में कुल 6 सदस्य होते हैं। इनमें से 3 सदस्य RBI से होते हैं, जबकि अन्य केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते हैं। आज सुबह 10 बजे, संजय मल्होत्रा इस बैठक में लिए गए निर्णयों की घोषणा करेंगे।


तीन बार की गई कटौती

रेपो दर में अब तक लगातार 3 बार कटौती की जा चुकी है। इस वर्ष RBI ने ब्याज दरों में 1% की कमी की है। वर्ष की पहली बैठक में, फरवरी में, ब्याज दरें 6.50% से घटाकर 6.25% की गई थीं। यह कटौती 5 वर्षों के बाद की गई थी। इसके बाद, अप्रैल में दूसरी बार 0.25% की कमी की गई और तीसरी बार यह कटौती जून में हुई। वर्तमान में रेपो दर 5.50% है।


कम होने वाले रेट्स

रेपो रेट में कमी के बाद, बैंक आवास और कार जैसे ऋणों पर ब्याज दरें भी कम कर सकते हैं। इससे आपके सभी ऋण सस्ते हो सकते हैं और ईएमआई में भी कमी आएगी। यदि ब्याज दरें घटती हैं, तो आवास की मांग में वृद्धि होगी और अधिक लोग रियल एस्टेट में निवेश कर सकेंगे।