उत्तरकाशी में बादल फटने से आई बाढ़: चार लोगों की मौत, कई लापता
उत्तरकाशी में बादल फटने की घटना
उत्तरकाशी में बादल फटने से बाढ़: मंगलवार को उत्तरकाशी के धराली क्षेत्र में बादल फटने के कारण अचानक बाढ़ आई, जिसमें चार लोगों की जान चली गई और कई अन्य लापता हैं। बचाव कार्यों के लिए पुलिस, सेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों को तैनात किया गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आंध्र प्रदेश का दौरा बीच में छोड़कर देहरादून लौटकर स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने बताया कि प्रभावित क्षेत्रों से 130 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया गया है और उन्हें तत्काल भोजन, आश्रय और चिकित्सा सहायता प्रदान करने के निर्देश दिए गए हैं। बचाव कार्यों को तेज़ करने के लिए सेना ने अतिरिक्त हेलीकॉप्टरों की मांग की है। कई जिलों में स्कूल और शैक्षणिक संस्थान बंद कर दिए गए हैं।
उत्तरकाशी में प्राकृतिक आपदाओं का इतिहास
धराली गाँव में खीर गंगा नदी में बादल फटने से आई बाढ़ ने उत्तरकाशी जिले में प्राकृतिक आपदाओं के इतिहास को एक बार फिर उजागर किया है।
- 1978 में डबरानी के पास भागीरथी नदी में झील बनने से बाढ़ आई, जिससे निचले इलाकों में व्यापक नुकसान हुआ।
- 1991 में उत्तरकाशी में आए भूकंप ने 700 से अधिक लोगों की जान ली और बड़े पैमाने पर विनाश किया।
- 2003 में वरुणावत पर्वत पर भूस्खलन ने कई इमारतों को ढहा दिया, जिससे बुनियादी ढाँचे को नुकसान पहुँचा।
- 2012-13 में अस्सी गंगा और भागीरथी नदियों के उफान से बाढ़ आई, जिसने अस्सी गंगा घाटी में व्यापक क्षति पहुँचाई।
- 2019 में आराकोट बंगान क्षेत्र में बादल फटने से कई लोगों की मौत हुई और बुनियादी ढाँचे को नुकसान पहुँचा।
- 2023 में सिल्क्यारा में एक निर्माणाधीन सुरंग का हिस्सा ढह गया, जिससे 41 मज़दूर फँस गए थे।
- हाल ही में, 20 जून, 2025 को ओदाता के मोरा टोक में भारी बारिश के कारण एक घर ढहने से चार सदस्यों की मौत हुई।
खीर गंगा आपदा ने इस क्षेत्र में प्राकृतिक आपदाओं की श्रृंखला में एक और दुखद घटना को जोड़ा है, जिससे मौसम की चरम स्थितियों के प्रति संवेदनशीलता को लेकर चिंताएँ बढ़ गई हैं।