काजू की खेती: जून से दिसंबर का समय सर्वोत्तम
काजू की पैदावार
प्रति पेड़ 3 से 4 किलो तक पैदावार संभव
काजू की खेती भारत में तेजी से बढ़ती जा रही है, क्योंकि यह कम भूमि में भी किसानों को स्थिर और अच्छी आय प्रदान कर सकती है। काजू की उपज के लिए गर्म और धूप वाले मौसम के साथ-साथ शुष्क ऋतु सबसे उपयुक्त मानी जाती है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि वैज्ञानिक विधियों का उपयोग करने पर किसान प्रति पेड़ 3 से 4 किलोग्राम तक उपज प्राप्त कर सकते हैं।
काजू की खेती के लिए जलवायु और मिट्टी
काजू विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उग सकता है, लेकिन लाल दोमट मिट्टी इसके लिए सबसे अनुकूल है। यह 600 से 700 फीट की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी अच्छी तरह से उगता है।
रोपाई का समय
- काजू की रोपाई के लिए जून से दिसंबर का समय सबसे अच्छा माना जाता है।
- रोपण के लिए उचित दूरी और पौधों की संख्या का ध्यान रखना आवश्यक है।
- काजू की वृद्धि के लिए सॉफ्ट वुड ग्राफ्टिंग, एयर लेयरिंग और एपिकॉटिल ग्राफ्टिंग जैसी तकनीकों का उपयोग किया जाता है।
- एक हेक्टेयर में लगभग 200 पौधे लगाए जा सकते हैं।
खेत की तैयारी
खेत की तैयारी के लिए 45×45×45 सेमी के गड्ढे खोदकर उनमें मिट्टी, 10 किलो गोबर खाद और 1 किलो नीमखली मिलाई जाती है।
पौधों की दूरी
- सामान्य दूरी: 7×7 मीटर।
- हाई डेंसिटी प्लांटिंग: 5×4 मीटर, जिससे 1 हेक्टेयर में 500 पौधे लगाए जा सकते हैं।
- जुलाई से अगस्त में इंटरलॉकिंग शाखाओं की छंटाई आवश्यक है।
कीट प्रबंधन
1. स्टेम बोरर (तना छेदक कीट)
- प्रभावित तनों को काटकर नष्ट करना।
- कार्बारिल 50 WP (2–4 ग्राम/लीटर) का छिड़काव करना।
- नीम तेल 5% का उपयोग वर्ष में तीन बार करें।
- क्लोरपाइरीफॉस 0.2% से प्रभावित हिस्सों की ड्रेंचिंग करें।
2. टी मच्छर (टी मॉस्किटो बग)
- फॉसलोन 2 ml/लीटर का उपयोग करें।
- कार्बारिल 50 WP 2 g/लीटर का छिड़काव करें।
- प्रोफेनोफॉस-क्लोरपाइरीफॉस-कार्बारिल का तीन बार का शेड्यूल सबसे प्रभावी माना जाता है।
कटाई और उपज
- काजू का पेड़ तीसरे वर्ष से फल देना शुरू करता है।
- मुख्य कटाई मार्च से मई के बीच होती है। पके हुए काजू भूरे-हरे, चिकने और भरे होते हैं।
- कटाई के बाद काजू को छिलके से अलग करके 2 से 3 दिन धूप में सुखाया जाता है।
- अच्छी तरह सूखे काजू छह महीने तक सुरक्षित रह सकते हैं।
- औसतन, एक पेड़ से हर साल 3 से 4 किलो कच्चे काजू मिलते हैं।
काजू प्रोसेसिंग के चरण
भारत में अधिकांश काजू प्रोसेसिंग मैन्युअल तरीके से की जाती है। इसके मुख्य चरण इस प्रकार हैं:
रोस्टिंग (भूनना): छिलका नरम करने के लिए भुनाई या भाप विधि का उपयोग किया जाता है।
शेलिंग (छिलका हटाना): लकड़ी के छोटे हथौड़े से खोल तोड़कर कर्नेल निकाला जाता है।
पीलिंग (ऊपरी परत हटाना): काजू की सुरक्षात्मक परत हटाने के लिए पिन या चाकू का उपयोग किया जाता है।
स्वेटिंग: कर्नेल को जमीन पर फैलाकर नमी सोखने दी जाती है ताकि टूटने की संभावना कम हो।
ग्रेडिंग: कर्नेल को अखंड, टूटा हुआ और स्लिट रूपों में बांट दिया जाता है।
पैकिंग: 10 किलो टिन में भरकर CO₂ गैस से सील किया जाता है, ताकि सफर के दौरान कीटों का अटैक न हो और फल में खराबी न आए।