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पानीपत की टेक्सटाइल इंडस्ट्री को मिलेगा सस्ता पानी

पानीपत की टेक्सटाइल और डाइंग इंडस्ट्री को अब सस्ते पानी की उपलब्धता का रास्ता खुल गया है। मुख्यमंत्री ने सिवाह के सीवर ट्रीटमेंट प्लांट से साफ पानी की आपूर्ति के लिए 43.5 करोड़ रुपये का फंड जारी किया है। यह प्रोजेक्ट उद्योग के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि एसटीपी का पानी नहरी पानी की तुलना में 76-82% सस्ता होगा। जानें इस प्रोजेक्ट के पीछे की चुनौतियां और उम्मीदें, और कैसे यह उद्योग को राहत प्रदान करेगा।
 

पानीपत की टेक्सटाइल और डाइंग इंडस्ट्री को राहत

पानीपत समाचार: पानीपत की टेक्सटाइल और डाइंग उद्योग को अब सस्ते पानी की उपलब्धता का रास्ता खुल गया है। ट्रम्प टैरिफ के कारण परेशान उद्योग के लिए यह एक महत्वपूर्ण राहत है। तीन महीने पहले 1000 करोड़ रुपये के जीरो लिक्विड डिस्चार्ज (ZLD) प्रोजेक्ट को रद्द करने के बाद, मुख्यमंत्री ने सिवाह के सीवर ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से साफ पानी की आपूर्ति के लिए 43.5 करोड़ रुपये का फंड जारी किया है।


सिवाह में 25 और 35 एमएलडी (कुल 60 एमएलडी यानी 6 करोड़ लीटर प्रतिदिन) क्षमता वाले दो एसटीपी से साफ किया हुआ पानी उद्योग की आवश्यकताओं के लिए उपलब्ध होगा। शेष पानी अन्य कार्यों में उपयोग किया जाएगा।


एसटीपी का पानी होगा 80% सस्ता

80% सस्ता होगा एसटीपी का पानी


यह प्रोजेक्ट विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि गुरुग्राम में डाइंग उद्योग को एसटीपी का साफ पानी 2-3 रुपये प्रति 1000 लीटर की दर से मिलता है, जबकि पानीपत में उद्यमियों को नहरी पानी 16.53 रुपये प्रति 1000 लीटर के हिसाब से मिलता है। यदि पानीपत में भी एसटीपी का पानी 3-4 रुपये प्रति 1000 लीटर की दर से मिलता है, तो यह नहरी पानी से 76-82% सस्ता होगा।


वर्तमान में, उद्योग को रोजाना 18 एमएलडी से अधिक नहरी पानी मिल रहा है। सिवाह एसटीपी में विशेष फिल्टर मशीनें लगाने के लिए 55 करोड़ रुपये और सेक्टर-29 तक पानी पहुंचाने के लिए पाइपलाइन बिछाने पर 13 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसके लिए मुख्यमंत्री ने बुनियादी ढांचा विकास योजना के तहत 69.73 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है, जिसमें 43.5 करोड़ रुपये का फंड आवंटन शामिल है।


एसटीपी का पानी क्यों है आवश्यक?

क्यों जरूरी है एसटीपी का पानी?


पानीपत में नहरी पानी और भूजल पर निर्भरता को कम करने के लिए सरकार एसटीपी के पानी पर जोर दे रही है। दिल्ली पैरलल नहर से सेक्टर-29 पार्ट-2 में बने दो 21-21 एमएलडी के रॉ वाटर प्लांट से रोजाना 18 एमएलडी पानी उद्योग को मिलता है, जबकि 12 एमएलडी भूजल निकाला जाता है।


रिफाइनरी भी रोजाना 20 क्यूसिक (4.89 करोड़ लीटर) नहरी पानी लेती है, जिसके लिए हर महीने 1.5 करोड़ रुपये सिंचाई विभाग को दिए जाते हैं। भविष्य में दक्षिण हरियाणा को पेयजल आपूर्ति के लिए नहरी पानी न तो रिफाइनरी को मिलेगा और न ही डाइंग उद्योग को।


पानीपत डार्क जोन में है, और हरियाणा वाटर रिसोर्स अथॉरिटी ने ट्यूबवेल पर रोक लगाने के नोटिस जारी किए हैं। एनजीटी नियमों के तहत नगर निगम को एसटीपी के 75% पानी को कृषि और अन्य कार्यों में और 25% को निगम क्षेत्र में उपयोग करना होगा।


चुनौतियां और उम्मीदें

चुनौतियां और उम्मीदें


गुरुग्राम की टेक्सटाइल मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के प्रधान अनिल जैन ने बताया कि वहां सीवर से ट्रीटेड पानी की गुणवत्ता अच्छी है। लेकिन पानीपत में स्थिति अलग है, क्योंकि यहां सीवर में डाइंग का पानी भी मिलता है। पानीपत एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के चेयरमैन ललित गोयल ने कहा कि अगर पानी की गुणवत्ता को नियंत्रित कर लिया जाए, तो यह उद्योग के लिए वरदान होगा। डायर्स एसोसिएशन के प्रधान नितिन अरोड़ा ने भी उम्मीद जताई कि साफ एसटीपी पानी मिलने से उद्योग को बड़ी राहत मिलेगी।