बांग्लादेश की राजनीति में अस्थिरता: यूनुस सरकार और एनसीपी के बीच टकराव
बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिति
बांग्लादेश की राजनीति: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ती जा रही है। नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार में गंभीर मतभेद उभर रहे हैं। सरकार के वरिष्ठ सलाहकारों और छात्र-नेतृत्व वाली नेशनल सिटीजन पार्टी (एनसीपी) के बीच वफादारी को लेकर विवाद बढ़ गया है। यह स्थिति तब उत्पन्न हुई है जब देश पहले से ही राजनीतिक संक्रमण के दौर से गुजर रहा है।
एनसीपी नेताओं के आरोप
एनसीपी के नेताओं का कहना है कि यूनुस सरकार के कई सलाहकार सार्वजनिक सेवा के बजाय अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहे हैं और राजनीतिक दलों से 'सुरक्षित निकासी' के लिए संपर्क कर रहे हैं। हालांकि, सरकार की पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मामलों की सलाहकार सईदा रिजवाना हसन ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह अपना जीवन बांग्लादेश में बिताने के लिए प्रतिबद्ध हैं और बाहर निकलने की कोशिश नहीं कर रही हैं।
वफादारी पर उठे सवाल
एनसीपी के संयोजक नाहिद इस्लाम ने आरोप लगाया कि यूनुस सरकार के कुछ सलाहकारों ने छात्र आंदोलन के विश्वास को तोड़ा है। उन्होंने कहा कि ये सलाहकार संकट के समय में विभिन्न दलों से संपर्क कर सुरक्षित निकासी के रास्ते खोज रहे हैं। हालांकि, इस्लाम ने किसी विशेष नाम का उल्लेख नहीं किया, लेकिन उनके बयान ने गठबंधन में दरार की अटकलों को जन्म दिया।
विवाद की तीव्रता
एनसीपी के एक अन्य नेता सरजिस आलम ने कहा कि 'सलाहकारों के लिए एकमात्र रास्ता मौत है।' इस बयान ने विवाद को और बढ़ा दिया। हालांकि, सईदा रिजवाना हसन ने इसका विरोध करते हुए कहा कि वह पूरी तरह से देश के प्रति समर्पित हैं और एनसीपी नेताओं को अपनी टिप्पणियों की स्पष्टता देनी चाहिए।
एनसीपी का उदय
एनसीपी की जड़ें पिछले साल के हिंसक जुलाई विद्रोह से जुड़ी हैं, जिसने शेख हसीना की अवामी लीग सरकार को सत्ता से बाहर कर दिया। इसके बाद फरवरी 2025 में एनसीपी एक संगठित राजनीतिक ताकत के रूप में उभरी। यूनुस, जो विद्रोह के दौरान विदेश में थे, मुख्य सलाहकार बनकर लौटे और छात्र नेताओं को अपना 'नियुक्तकर्ता' बताया।
छात्र नेताओं की भूमिका
यूनुस सरकार में तीन छात्र नेताओं को सलाहकार बनाया गया, जिनमें नाहिद इस्लाम भी शामिल थीं। बाद में उन्होंने इस्तीफा देकर एनसीपी का नेतृत्व संभाला। बाकी दो छात्र प्रतिनिधि अब भी मंत्रिमंडल में बने हुए हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि छात्र राजनीति और यूनुस सरकार के बीच संबंध जटिल हो चुके हैं।
अवामी लीग पर कार्रवाई
मई 2025 में, एनसीपी के दबाव में आकर यूनुस सरकार ने अवामी लीग पर सख्त कार्रवाई की। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनकी पार्टी पर प्रतिबंध लगाया गया और कई नेताओं को गिरफ्तार किया गया। हजारों कार्यकर्ता भूमिगत हो गए। एनसीपी ने घोषणा की कि वे राष्ट्रीय राजनीति से अवामी लीग को पूरी तरह अप्रासंगिक बना देंगे।
शेख हसीना पर मुकदमा
इस बीच, बांग्लादेश के एक विशेष न्यायाधिकरण ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और 29 अन्य लोगों को मानवता के विरुद्ध अपराधों के आरोप में गिरफ्तार करने का आदेश दिया है। ये आरोप हसीना सरकार के दौरान कथित जबरन गायब करने की घटनाओं से जुड़े हैं।