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भारत की ऊर्जा सुरक्षा पर हरदीप सिंह पुरी का बड़ा बयान: रूस से तेल खरीद पर कोई रोक नहीं

केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि भारत के लिए रूस से कच्चे तेल की खरीद पर कोई प्रतिबंध नहीं है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इस आपूर्ति में रुकावट आती है, तो इसके गंभीर वैश्विक परिणाम हो सकते हैं। पुरी ने ईरान और वेनेजुएला का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत हमेशा अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का पालन करने वाला एक जिम्मेदार देश रहा है। उन्होंने बताया कि रूस से तेल खरीद की मूल्य सीमाएं निर्धारित की गई हैं और भारतीय कंपनियों को अक्सर कम कीमत पर खरीदने के लिए कहा जाता है।
 

भारत की ऊर्जा नीति पर स्पष्टता

केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने शुक्रवार को बताया कि भारत के लिए रूस से कच्चे तेल की खरीद पर कोई प्रतिबंध नहीं है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इस आपूर्ति में रुकावट आती है, तो इसके गंभीर वैश्विक परिणाम हो सकते हैं। यह टिप्पणी अमेरिका द्वारा भारत पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाने और रूस से तेल और हथियारों की खरीद पर अतिरिक्त शुल्क लगाने के संदर्भ में आई।


ईरान और वेनेजुएला का उदाहरण

पुरी ने ईरान और वेनेजुएला का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत हमेशा अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का पालन करने वाला एक जिम्मेदार देश रहा है। उन्होंने बताया कि रूस वर्तमान में कच्चे तेल का दूसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है, जो प्रतिदिन लगभग एक करोड़ बैरल तेल उपलब्ध कराता है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा एक ऐसी आवश्यकता है, जिसके बिना कोई देश नहीं रह सकता। यदि आप दूसरे सबसे बड़े उत्पादक को हटा देते हैं, तो खपत में कमी आएगी और इसके परिणाम गंभीर होंगे।


रूस से तेल खरीद की स्थिति

पुरी ने यह भी कहा कि यही कारण है कि दुनिया भर में रूस के तेल पर प्रतिबंध नहीं लगाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि रूस से तेल खरीद की मूल्य सीमाएं निर्धारित की गई हैं और भारतीय कंपनियों को अक्सर कम कीमत पर खरीदने के लिए कहा जाता है। उन्होंने तुर्की, जापान और यूरोपीय संघ का उदाहरण देते हुए कहा कि कई देश रूस से तेल खरीदते हैं, लेकिन वर्तमान में रूस द्वारा दी जाने वाली छूट बहुत अधिक नहीं है।


कच्चे तेल की कीमतों का अनुमान

पुरी ने यह भी बताया कि तेल की मांग और आपूर्ति के बीच संतुलन बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। उनका मानना है कि भविष्य में कच्चे तेल की कीमत 65-68 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल के बीच रह सकती है। उन्होंने अमेरिका के शेल गैस पर जोर देने और वैश्विक ईंधन कीमतों को स्थिर रखने के प्रयासों का भी उल्लेख किया।


स्वतंत्र निर्णय लेने की प्रक्रिया

मंत्री ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियां स्वतंत्र रूप से यह तय करती हैं कि वे रिफाइनिंग के लिए किस स्रोत से कच्चा तेल खरीदेंगी। इन कंपनियों के पास पेशेवर प्रबंधन और निदेशक मंडल हैं, जो सभी निर्णयों को सक्षम और जिम्मेदार तरीके से लेते हैं।


भारत की ऊर्जा सुरक्षा पर जोर

पुरी का यह बयान अमेरिका और भारत के बीच व्यापार और ऊर्जा नीतियों पर चल रहे संवाद के दौरान आया। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा और वैश्विक जिम्मेदारी दोनों का ध्यान रखता है।