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भारत-श्रीलंका की नई डील: चीन की चुनौती में मजबूती

भारत और श्रीलंका के बीच एक नई रणनीतिक डील से चीन की चिंता बढ़ गई है। मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने कोलंबो डॉकयार्ड में हिस्सेदारी खरीदने की योजना बनाई है, जो लगभग 53 मिलियन डॉलर की होगी। यह डील हिंद महासागर में भारत की स्थिति को मजबूत करेगी और चीन की बढ़ती सैन्य उपस्थिति को चुनौती देगी। MDL के चेयरमैन ने इसे एक महत्वपूर्ण कदम बताया है, जिससे भारत क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख शिपबिल्डिंग कंपनी बन सकेगा। जानें इस डील के पीछे की रणनीति और इसके संभावित प्रभाव के बारे में।
 

भारत-श्रीलंका डील का महत्व

भारत-श्रीलंका डील: भारत और श्रीलंका के बीच एक नई रणनीतिक साझेदारी से चीन की चिंता बढ़ने वाली है। मुंबई स्थित मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) ने श्रीलंका की प्रमुख शिपयार्ड कंपनी कोलंबो डॉकयार्ड पीएलसी (CDPLC) में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी खरीदने की योजना बनाई है। यह सौदा लगभग 53 मिलियन डॉलर का होगा, जिससे भारत को हिंद महासागर में एक महत्वपूर्ण बढ़त मिलेगी।


चीन की रणनीति को चुनौती

चीन लंबे समय से श्रीलंका में अपने सैन्य और आर्थिक प्रभाव को बढ़ाने में लगा हुआ है। भारत का यह कदम सीधे तौर पर चीन की योजनाओं को चुनौती देता है। हिंद महासागर में जहाजों के लिए ठिकाने की तलाश कर रही चीनी नौसेना को इस डील से एक बड़ा झटका लगेगा।


मझगांव डॉक का श्रीलंका में निवेश

मझगांव डॉक का श्रीलंका प्लान

MDL यह निवेश दो तरीकों से करेगा - नए शेयर जारी करके और मौजूदा शेयरधारक ओनोमिची डॉकयार्ड कंपनी लिमिटेड से हिस्सेदारी खरीदकर। सभी कानूनी प्रक्रियाएं पूरी होने के बाद, CDPLC MDL की सहायक कंपनी बन जाएगी।


MDL के चेयरमैन का बयान

'यह सिर्फ शुरुआत है' - MDL चेयरमैन

MDL के चेयरमैन कैप्टन जगमोहन ने कहा, 'यह डील एक 'गेटवे' है, जिससे हम क्षेत्रीय और फिर वैश्विक स्तर पर प्रमुख शिपबिल्डिंग कंपनी बन सकेंगे। कोलंबो पोर्ट पर CDPLC की स्थिति और दक्षता हमें दक्षिण एशिया में मजबूत बनाएगी।'


CDPLC का अनुभव

CDPLC का अनुभव भारत के काम आएगा

CDPLC को जहाज निर्माण और मरम्मत का 50 साल से अधिक का अनुभव है। इसने जापान, फ्रांस, UAE और अफ्रीकी देशों के लिए कई प्रकार के जहाज बनाए हैं। वर्तमान में कंपनी के पास 300 मिलियन डॉलर से अधिक के ऑर्डर हैं, जिनमें केबल लेइंग शिप्स और गश्ती जहाज शामिल हैं।


MDL की साझेदारी का लाभ

MDL की साझेदारी से CDPLC को मिलेगा दम

MDL के अधिकारियों का कहना है कि भारतीय तकनीक, सप्लाई चेन और बाजार से CDPLC को मजबूती मिलेगी। इससे श्रीलंका में भारत की छवि और प्रभाव दोनों बढ़ेगा, वहीं CDPLC को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनने में मदद मिलेगी।


MDL का विकास

भारत में भी चमक रहा है MDL का सितारा

MDL भारत में जर्मन कंपनी TKMS के साथ मिलकर 6 नई डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियां बनाने की योजना पर काम कर रही है। इनमें एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्सन (AIP) और क्रूज मिसाइलें होंगी, जिससे इनकी मारक क्षमता और गहराई में रहने का समय दोनों बढ़ेंगे।


स्कॉर्पीन पनडुब्बियों का विस्तार

स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के विस्तार पर नजर

MDL को जल्द ही तीन और स्कॉर्पीन-क्लास पनडुब्बियां बनाने का कॉन्ट्रैक्ट मिलने की उम्मीद है। यह डील लगभग 38,000 करोड़ रुपये की होगी और इससे भारतीय नौसेना की ताकत और भी बढ़ेगी। भारत और श्रीलंका के बीच यह डील न केवल सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे हिंद महासागर में भारत की पकड़ भी मजबूत होगी। चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के लिए यह एक बड़ा और निर्णायक कदम माना जा रहा है।