ममता बनर्जी ने भाजपा पर नागरिकता छीनने का आरोप लगाया
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का चुनाव आयोग पर हमला
कोलकाता। बिहार की तरह, पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा द्वारा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की मांग को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को एक बार फिर इस मुद्दे पर तीखा हमला किया।
ममता ने आरोप लगाया कि यह प्रक्रिया बंगालियों को घुसपैठिया बताकर उनकी नागरिकता छीनने का प्रयास है। उन्होंने जनता से अपील की कि यदि कोई व्यक्ति उनसे इस संबंध में फार्म भरने के लिए कहे, तो बिना समझे ऐसा न करें। ममता ने चेतावनी दी कि ऐसा करने पर चुनाव आयोग आपके नाम को मतदाता सूची से हटा सकता है।
चुनाव आयोग ने भेजे गए नामों को खारिज किया
केंद्रीय चुनाव आयोग ने बंगाल के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) के कार्यालय में अतिरिक्त सीईओ, उप सीईओ और संयुक्त सीईओ के रिक्त पदों के लिए राज्य सरकार द्वारा भेजे गए नामों को खारिज कर दिया है। आयोग ने नए नामों की सूची भेजने का निर्देश दिया है। सूत्रों के अनुसार, आयोग को इनमें से कोई भी नाम उपयुक्त नहीं लगा।
चुनाव आयोग को संविधान के अनुच्छेद 324 और जनप्रतिनिधित्व कानून, 1950 के तहत चुनाव प्रक्रिया की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने का अधिकार है। आयोग भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ निलंबन, एफआईआर और अन्य अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकता है।
संविधान और कानून के विशेषज्ञों के अनुसार, आयोग आचार संहिता लागू होने से पहले भी यह कार्य कर सकता है। यदि राज्य सहयोग नहीं करता है, तो आयोग भारत सरकार से प्रशासनिक सहायता मांग सकता है और सार्वजनिक रूप से राज्य सरकार को उल्लंघनकर्ता घोषित कर सकता है।
ममता ने चुनाव आयोग को दी चुनौती
वास्तव में, चुनाव आयोग ने बंगाल के चार अधिकारियों को निलंबित करने और उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने का निर्देश दिया है, लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ऐसा करने से इनकार कर दिया है। उन्होंने चुनाव आयोग को चुनौती दी है कि ऐसा कोई कानून नहीं है जो उन्हें इन अधिकारियों को हटाने का आदेश दे।