मेटा का हिंदी AI चैटबॉट्स का बड़ा कदम: भर्ती प्रक्रिया शुरू
मेटा का हिंदी AI चैटबॉट्स का बड़ा कदम
नई दिल्ली: सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनी मेटा भारतीय उपयोगकर्ताओं के लिए हिंदी में AI चैटबॉट्स लाने की योजना बना रही है। रिपोर्ट्स के अनुसार, कंपनी अमेरिका में कॉन्ट्रैक्टर्स को प्रति घंटे 55 डॉलर (लगभग 4,850 रुपये) की दर से नियुक्त कर रही है।
यह पहल व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम और मैसेंजर जैसे प्लेटफार्मों पर हिंदी चैटबॉट्स को बढ़ावा देने के लिए की जा रही है। हालांकि, इन चैटबॉट्स के संबंध में प्राइवेसी और अनुचित सामग्री को लेकर चिंताएं भी उठ रही हैं। आइए इस खबर के सभी पहलुओं पर नजर डालते हैं।
भारत में AI की बड़ी योजना
बिजनेस इनसाइडर की एक रिपोर्ट के अनुसार, मेटा भारत, इंडोनेशिया और मैक्सिको जैसे तेजी से विकसित हो रहे बाजारों में अपनी AI उपस्थिति को मजबूत करना चाहता है। इसके लिए कंपनी क्रिस्टल इक्वेशन और एक्वेंट टैलेंट जैसी स्टाफिंग फर्मों के माध्यम से कॉन्ट्रैक्टर्स की भर्ती कर रही है।
ये कॉन्ट्रैक्टर्स व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम और मैसेंजर पर हिंदी चैटबॉट्स के लिए कैरेक्टर डेवलपमेंट और कंटेंट वर्कफ्लो पर काम करेंगे। आवेदकों को हिंदी, इंडोनेशियाई, स्पेनिश या पुर्तगाली में धाराप्रवाह होना आवश्यक है और उन्हें स्टोरीटेलिंग और AI कंटेंट में कम से कम छह साल का अनुभव होना चाहिए।
भर्ती प्रक्रिया
रिपोर्ट के अनुसार, क्रिस्टल इक्वेशन ने मेटा के लिए हिंदी और इंडोनेशियाई भाषा में कॉन्ट्रैक्टर्स की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किए हैं। वहीं, एक्वेंट टैलेंट ने एक "शीर्ष सोशल मीडिया कंपनी" के लिए स्पेनिश भाषा की भूमिकाओं के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू की है।
हालांकि, मेटा ने इस भर्ती की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है। मेटा के CEO मार्क जकरबर्ग पहले कह चुके हैं कि चैटबॉट्स "वास्तविक दुनिया की दोस्ती को पूरक" बनाकर लोगों को डिजिटल साथियों से जोड़ सकते हैं।
चैटबॉट्स पर विवाद
मेटा के AI चैटबॉट्स को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। पहले की कुछ रिपोर्टों में यह दावा किया गया था कि मेटा के चैटबॉट्स नाबालिगों के साथ अनुचित रोमांटिक या यौन बातचीत में शामिल थे। कुछ ने भ्रामक चिकित्सा सलाह दी, जबकि कुछ ने नस्लवादी प्रतिक्रियाएं भी दीं।
इसके अलावा, प्राइवेसी को लेकर भी गंभीर चिंताएं हैं। बिजनेस इनसाइडर की एक रिपोर्ट के अनुसार, चैटबॉट्स की बातचीत की समीक्षा करने वाले कॉन्ट्रैक्टर्स को उपयोगकर्ताओं के नाम, फोन नंबर, ईमेल और सेल्फी जैसी संवेदनशील जानकारी मिल रही थी। इन चिंताओं के चलते अमेरिकी सांसदों ने मेटा की AI नीतियों पर कड़ी निगरानी की मांग की है।