आयुष्मान भारत योजना में गिरावट: अस्पतालों की संख्या में कमी
आयुष्मान भारत योजना का संकट
आयुष्मान भारत योजना: इस योजना ने देश के गरीबों को कई लाभ प्रदान किए हैं, लेकिन अब यह संकट में है। प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का मुख्य उद्देश्य जरूरतमंदों को मुफ्त चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराना है। हालाँकि, इस योजना की विश्वसनीयता और भविष्य पर सवाल उठने लगे हैं। हर साल बड़ी संख्या में अस्पताल इस योजना से जुड़ते थे, लेकिन अब निजी अस्पतालों की रुचि में कमी आ रही है।
2024-25 में नए अस्पतालों की संख्या में कमी
2024-25 में नए अस्पतालों की संख्या में कमी
इस वर्ष आयुष्मान भारत योजना से केवल 2,113 अस्पताल जुड़े हैं, जबकि पिछले वर्ष यह संख्या 4,271 और उससे पहले 3,124 थी। इस बार अस्पतालों की संख्या में स्पष्ट गिरावट देखी गई है। यह जानकारी स्वास्थ्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने साझा की है।
इस योजना में कितने अस्पताल शामिल हैं?
इस योजना में कितने अस्पताल शामिल हैं?
वर्तमान में, देशभर में कुल 31,466 अस्पताल इस योजना से जुड़े हुए हैं, जिनमें से 14,194 निजी अस्पताल हैं। इसका मतलब है कि योजना का दायरा बढ़ा है, लेकिन नई भागीदारी में कमी आई है।
इस योजना में कितने उपचार शामिल हैं?
इस योजना में कितने उपचार शामिल हैं?
इस योजना के तहत स्वास्थ्य लाभ पैकेज को पाँच बार अपडेट किया गया है। 2022 में शुरू किया गया नया पैकेज एचबीपी 2022, 1,961 प्रकार की चिकित्सा प्रक्रियाओं को कवर करता है, जो 27 विभिन्न विशेषज्ञताओं में फैली हुई हैं।
निजी अस्पताल क्यों पीछे हट रहे हैं?
निजी अस्पताल क्यों पीछे हट रहे हैं?
विशेषज्ञों और निजी अस्पताल संगठनों का कहना है कि उनके सामने दो प्रमुख समस्याएँ हैं। नियमों के अनुसार, राज्यों के भीतर के मरीजों को 15 दिनों में और अन्य राज्यों के मरीजों को 30 दिनों में भुगतान किया जाना चाहिए। लेकिन वास्तविकता में यह समय सीमा अक्सर टूट जाती है, खासकर बड़े अस्पतालों और महंगे इलाज के मामलों में। कई निजी अस्पतालों का कहना है कि उन्हें इलाज के बदले मिलने वाला पैसा लागत से कम है, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान होता है।
निर्माताओं के लिए चुनौती
निर्माताओं के लिए चुनौती
- योजना को किफायती बनाए रखना
- निजी अस्पतालों को संतुलित वित्तीय लाभ मिलना चाहिए
- यह योजना लंबे समय तक चल सकती है और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज का सपना साकार हो सकता है।