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एयर इंडिया फ्लाइट 171 का हादसा: जांच में सामने आईं नई जानकारियाँ

12 जून 2025 को एयर इंडिया की फ्लाइट 171 का अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ान भरते समय एक गंभीर हादसा हुआ। इस दुर्घटना में 241 यात्रियों में से केवल एक व्यक्ति बचा, जबकि 19 लोग जमीन पर मारे गए। प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में ईंधन नियंत्रण स्विच के 'कटऑफ' स्थिति में जाने की जानकारी मिली है, जो सामान्यतः आपातकालीन स्थितियों में होती है। पायलटों के बीच हुई बातचीत और संभावित इलेक्ट्रॉनिक खराबी की जांच की जा रही है। इस हादसे के कारणों का पता लगाने में महीनों लग सकते हैं।
 

हादसे का संक्षिप्त विवरण

12 जून 2025 को एयर इंडिया की फ्लाइट 171, जो अहमदाबाद से लंदन के गैटविक के लिए उड़ान भर रही थी, एक गंभीर दुर्घटना का शिकार हो गई। यह बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान उड़ान भरने के केवल 30 सेकंड बाद बी.जे. मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल परिसर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में 241 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों में से केवल एक व्यक्ति बचा, जबकि जमीन पर 19 लोगों की जान चली गई। विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआईबी) की प्रारंभिक रिपोर्ट ने इस घटना के कारणों को समझने में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की है, लेकिन कई सवाल अभी भी अनसुलझे हैं।


प्रारंभिक रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

एएआईबी की प्रारंभिक रिपोर्ट में बताया गया है कि उड़ान भरने के कुछ ही क्षणों बाद, दोनों इंजनों के ईंधन नियंत्रण स्विच एक के बाद एक, एक सेकंड के अंतराल में, 'रन' से 'कटऑफ' स्थिति में चले गए। यह प्रक्रिया सामान्यतः लैंडिंग के बाद या आपातकालीन स्थिति में की जाती है। कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर में एक महत्वपूर्ण बातचीत दर्ज की गई है, जिसमें एक पायलट ने दूसरे से पूछा, "तुमने कटऑफ क्यों किया?" और दूसरे ने उत्तर दिया, "मैंने ऐसा नहीं किया।" यह बातचीत जांच के लिए महत्वपूर्ण है।


पायलटों का अनुभव

कप्तान सुमीत सभरवाल और फर्स्ट ऑफिसर क्लाइव कुंदर दोनों अनुभवी पायलट थे। कप्तान के पास 15,638 उड़ान घंटे थे, जिनमें से 8,596 घंटे बोइंग 787 पर थे, जबकि फर्स्ट ऑफिसर के पास 3,403 उड़ान घंटे थे। दोनों ने प्री-फ्लाइट ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट पास किया था और वे पर्याप्त आराम के बाद ड्यूटी पर थे।


हादसे के संभावित कारण

जांचकर्ता यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या यह हादसा मानवीय भूल, यांत्रिक खराबी, या आपातकालीन प्रक्रिया में हुई गलती का परिणाम था। प्रारंभिक जांच ने खराब मौसम, पक्षी से टकराव, विमान का गलत कॉन्फिगरेशन, या ईंधन की गुणवत्ता में कमी को खारिज कर दिया है। इसके अलावा, बोइंग 787 और इसके जीई जेनएक्स-1बी इंजनों में कोई यांत्रिक खराबी नहीं पाई गई।


इलेक्ट्रॉनिक खराबी की संभावना

विशेषज्ञों ने यह संभावना जताई है कि विमान के इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल यूनिट में खराबी के कारण स्विच अपने आप 'कटऑफ' स्थिति में चले गए हों। 2018 में अमेरिका के फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (एफएए) ने बोइंग 737 के लिए एक सलाह जारी की थी, जिसमें ईंधन नियंत्रण स्विच के लॉकिंग मैकेनिज्म में खराबी की बात कही गई थी। यह डिज़ाइन बोइंग 787 में भी उपयोग किया जाता है। हालांकि, यह सलाह वैकल्पिक थी और एयर इंडिया ने इसकी अनुशंसित जांच नहीं की थी।


जांच की आगे की प्रक्रिया

एएआईबी की प्रारंभिक रिपोर्ट ने कई सवाल खड़े किए हैं, लेकिन यह अंतिम निष्कर्ष नहीं है। जांचकर्ता कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर का गहन विश्लेषण कर रहे हैं। इसके अलावा, मलबे और अन्य घटकों की जांच भी जारी है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस हादसे का कारण जानने में महीनों या शायद एक साल से अधिक समय लग सकता है। बोइंग और जीई एयरोस्पेस ने जांच में सहयोग करने का आश्वासन दिया है, लेकिन अभी तक कोई सलाह या निर्देश 787 ऑपरेटरों के लिए जारी नहीं किया गया है।