किसानों के लिए मिट्टी परीक्षण और कपास की खेती के सुझाव
मिट्टी परीक्षण की महत्ता
मिट्टी परीक्षण, करनाल। किसानों के लिए एक सकारात्मक समाचार है। मिट्टी की जांच और उपयुक्त खाद का उपयोग करके फसल की उपज और मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है। करनाल के सीसीएसएचएयू की रीजनल सॉइल टेस्टिंग लैब की प्रमुख डॉ. किरन कुमारी ने बताया कि सही समय पर उर्वरक और कीटनाशकों का उपयोग फसल की पैदावार को बढ़ा सकता है। इसके अलावा, कपास की खेती में सावधानियों का पालन करने से टिंडों की बर्बादी को कम किया जा सकता है। आइए, मिट्टी और कपास की खेती के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझावों पर नजर डालते हैं।
मिट्टी को मजबूत बनाएं
मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के उपाय
मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने के लिए प्रति एकड़ 4-6 टन गोबर की खाद का उपयोग करें। ढेंचा और मूंग जैसी दलहनी फसलों को हरी खाद के रूप में प्रयोग करें और इन्हें 45-60 दिन बाद मिट्टी में मिला दें। केंचुआ खाद का उपयोग करने से मिट्टी का स्वास्थ्य और जैविक कार्बन में वृद्धि होती है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के तहत मिट्टी की जांच कराकर सही मात्रा में उर्वरक का उपयोग करें। इससे न केवल पैदावार में वृद्धि होगी, बल्कि मिट्टी की गुणवत्ता भी बेहतर होगी।
कपास की खेती के लिए विशेष सुझाव
कपास की फसल की देखभाल
कपास की फसल में नमी की कमी नहीं होनी चाहिए। 2.5% यूरिया और 0.5% जिंक सल्फेट का 21% घोल बनाकर छिड़काव करें। इसके बाद, 10 दिन के अंतराल पर दो बार 1% पोटाशियम नाइट्रेट का छिड़काव करें। जब एक तिहाई टिंडे बन जाएं, तो सिंचाई बंद कर दें। टिंडागलन को रोकने के लिए 2 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड को प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें। सुंडी और मीलीबग से बचाव के लिए परपोषी पौधों को नष्ट करें और आवश्यकता पड़ने पर कीटनाशक का उपयोग करें।