तियानजिन शिखर सम्मेलन: वैश्विक सहयोग की नई दिशा
वैश्विक सहयोग का नया अध्याय
एससीओ शिखर सम्मेलन और विक्टरी डे परेड ने यह स्पष्ट किया है कि वर्तमान वैश्विक परिदृश्य केवल निराशा का नहीं है। इसके विपरीत, एक नई कहानी का निर्माण हो रहा है। 21वीं सदी के तीसरे दशक में ‘इतिहास के अंत’ की अवधारणा का प्रतिकूल रूप सामने आ चुका है। आने वाले दशकों की कहानी इसी नई दृष्टिकोण से प्रेरित होगी, जो दर्शाता है कि हम एक नए वैश्विक युग में प्रवेश कर चुके हैं।
तियानजिन सम्मेलन की ऐतिहासिकता
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) का तियानजिन सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ है। अंतरराष्ट्रीय सहयोग और वैश्विक व्यवस्था के संचालन के नए दृष्टिकोण को इस सम्मेलन में स्पष्टता से प्रस्तुत किया गया। यह संभवतः पहले कभी नहीं हुआ था कि एससीओ शिखर सम्मेलन में इस तरह की सामूहिक सहमति बनी हो।
भारत की भूमिका
तियानजिन में भारत की सक्रिय भागीदारी ने इस सम्मेलन को और भी महत्वपूर्ण बना दिया। पिछले वर्ष भारत की भूमिका पर कई सवाल उठाए जा रहे थे, लेकिन इस बार भारत ने एससीओ के उद्देश्यों के प्रति अपनी सहमति स्पष्ट की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अन्य नेताओं के साथ समन्वय ने वैश्विक दक्षिण की एकजुटता को मजबूती दी।
बीआरआई पर मतभेद
हालांकि, भारत और अन्य एससीओ सदस्यों के बीच चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) पर मतभेद बना रहा। लेकिन यह मतभेद साझा घोषणापत्र के रास्ते में बाधा नहीं बना। पहले की तरह, इस बार भी घोषणापत्र में बीआरआई का उल्लेख किया गया, जिसमें भारत शामिल नहीं था।
साझा घोषणापत्र और नई संभावनाएं
एससीओ के सदस्य देशों ने एक साझा घोषणापत्र पर सहमति जताई, जिसमें कहा गया कि दुनिया गहरे ऐतिहासिक परिवर्तनों से गुजर रही है। यह एक न्यायपूर्ण और बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था की आवश्यकता को दर्शाता है। तियानजिन में एससीओ डेवलपमेंट बैंक की स्थापना पर भी सहमति बनी, जिसका उद्देश्य अमेरिकी डॉलर के बिना अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देना है।
नई संस्थाओं का गठन
इसके अलावा, एससीओ ने ऊर्जा साझेदारी समूह और मादक पदार्थों के खिलाफ साझा कदम उठाने के लिए नए संगठनों के गठन पर भी सहमति दी।
दूरगामी दस्तावेजों की मंजूरी
तियानजिन में कई महत्वपूर्ण दस्तावेजों को भी मंजूरी दी गई, जिनमें 2026-2035 के लिए विकास रणनीति और बहुपक्षीय व्यापार के लिए साझा वक्तव्य शामिल हैं।
मध्य-पूर्व में शांति की आवश्यकता
एससीओ ने ईरान पर इजराइल और अमेरिका के हमलों की निंदा की और मध्य-पूर्व में शांति के लिए फिलस्तीनी मुद्दे के न्यायपूर्ण समाधान की आवश्यकता को दोहराया।
चीन की नई पहल
चीन ने एससीओ प्लस की शिखर बैठक में ग्लोबल गवर्नेंस इनिशिएटिव (जीजीआई) की रूपरेखा पेश की। यह पहल संप्रभुता की समानता, अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन, और बहुपक्षीयता पर आधारित है।
सुरक्षा की नई अवधारणा
एससीओ की सुरक्षा की नई अवधारणा यह मानती है कि सुरक्षा अविभाज्य है। यह समझती है कि किसी की सुरक्षा किसी और की कीमत पर नहीं हो सकती।
विकास और सुरक्षा का संबंध
विकास को सुरक्षा का सर्वोत्तम रूप मानते हुए, एससीओ ने आर्थिक समृद्धि और तकनीकी सहयोग को सुरक्षा की नई धारणा से जोड़ा है।
तियानजिन शिखर सम्मेलन का महत्व
तियानजिन शिखर सम्मेलन ने एससीओ के विस्तार का अवसर प्रदान किया और यह मंच अब सहयोग की नई दुनिया का निर्माण कर रहा है।
विक्टरी डे परेड का संदर्भ
चीन ने विक्टरी डे परेड को इस परिवर्तन का प्रतीक माना, जिसमें वैश्विक दक्षिण का उदय दर्शाया गया।
निष्कर्ष
इस प्रकार, तियानजिन शिखर सम्मेलन और विक्टरी डे परेड ने यह स्पष्ट किया है कि हम एक नए वैश्विक युग में प्रवेश कर चुके हैं, जहां ग्लोबल साउथ की आवाज़ महत्वपूर्ण होगी।