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धान की खेती: 90 दिन में बेहतरीन उपज के लिए 3 उन्नत किस्में और DSR तकनीक

उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए धान की खेती 2025 में एक सुनहरा अवसर लेकर आई है। इस लेख में, हम 90 दिन में तैयार होने वाली तीन बेहतरीन धान की किस्मों और DSR तकनीक के लाभों के बारे में जानेंगे। DSR तकनीक कम पानी और लागत में बचत करते हुए अधिक उत्पादन का वादा करती है। जानें कैसे ये नई तकनीक और किस्में किसानों की मेहनत को रंग लाने में मदद कर सकती हैं।
 

धान की खेती: 90 दिन में बेहतरीन उपज

धान की खेती: 90 दिन में बेहतरीन उपज के लिए 3 उन्नत किस्में और DSR तकनीक: उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए धान की खेती 2025 एक सुनहरा अवसर प्रस्तुत कर रही है। जैसे ही खरीफ का मौसम शुरू होता है, किसान आधुनिक तकनीकों और तेजी से तैयार होने वाली धान की किस्मों की ओर आकर्षित हो रहे हैं।


विशेष रूप से 1692 वैरायटी और सीधी बुवाई तकनीक (DSR) ने किसानों का ध्यान आकर्षित किया है। यह तकनीक कम पानी, कम लागत और अधिक उत्पादन का आश्वासन देती है। यदि आप भी धान की खेती में नई ऊंचाइयों को छूना चाहते हैं, तो आइए जानते हैं तीन बेहतरीन किस्मों और DSR तकनीक के बारे में।


धान की उन्नत किस्में: 90 दिन में तैयार धान की खेती


उत्तर प्रदेश में धान की खेती किसानों के लिए आजीविका का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। इस बार 1692, 1509, और सुगंध-5 जैसी किस्में काफी लोकप्रिय हो रही हैं। 1692 वैरायटी केवल 90 दिन में तैयार हो जाती है, जिससे किसानों को जल्दी फसल और अच्छा लाभ मिलता है।


यह किस्म अपनी गुणवत्ता और बाजार मूल्य के लिए प्रसिद्ध है। वहीं, सुगंध-5 खुशबूदार चावल के लिए जानी जाती है, जो 120 दिन में तैयार होती है। 1509 उन किसानों के लिए आदर्श है जो धान के बाद आलू की फसल लेना चाहते हैं। ये किस्में कम समय में अधिक उत्पादन देती हैं, जिससे किसानों की मेहनत का फल मिलता है।


DSR तकनीक: कम पानी, अधिक लाभ


पारंपरिक रोपाई के स्थान पर अब सीधी बुवाई तकनीक (Direct Seeded Rice) किसानों की प्राथमिकता बन गई है। DSR तकनीक पानी की 25-30% बचत करती है, जो सूखे क्षेत्रों के लिए एक वरदान है। यह लागत में 3500-4000 रुपये की बचत और 10-15% अधिक उत्पादन प्रदान करती है।


फसल 7-10 दिन पहले पकती है, जिससे अगली फसल की तैयारी करना आसान हो जाता है। DSR में मृदा जैव कार्बन में 9% की वृद्धि होती है, जो मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाती है। उत्तर प्रदेश सरकार भी इस तकनीक को प्रोत्साहित कर रही है। किसान सूखे खेत या तर-वतर बुवाई विधि का उपयोग कर सकते हैं।


खेती के लिए सही समय और सुझाव


धान की बुवाई का सबसे उपयुक्त समय 20 मई से 30 जून है, जब मानसून की शुरुआत होती है। किसानों को प्रमाणित और उपचारित बीज का उपयोग करने की सलाह दी जाती है। खेत को लेजर लैंड लेवलर से समतल करना आवश्यक है, ताकि पानी का समान वितरण हो सके।


तर-वतर बुवाई में पहली सिंचाई 15-21 दिन बाद करें, इससे खरपतवार नियंत्रण आसान होता है। DSR तकनीक में मशीनों से बीज बोने से मेहनत कम होती है। ये सुझाव न केवल पैदावार बढ़ाएंगे, बल्कि लागत भी घटाएंगे। धान की खेती 2025 में किसानों के लिए नई उम्मीद लेकर आई है।