पारिजात वृक्ष: अयोध्या में पीएम मोदी द्वारा रोपित एक पौराणिक पौधा
पारिजात का महत्व और पौराणिक कथा
अयोध्या की जन्मभूमि पर 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पारिजात के पौधों का रोपण किया। आइए जानते हैं कि पारिजात का पेड़ हमारे जीवन में किस प्रकार से लाभकारी है।
पारिजात के वृक्ष का उल्लेख हमारे प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है। कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान यह वृक्ष प्रकट हुआ था। इसे देखकर इंद्रदेव ने इसे अपनी वाटिका में स्थापित कर लिया।
जब इंद्रदेव ने पारिजात को अपने वाटिका में रखा, तब रुक्मणी ने श्री कृष्ण से इसकी मांग की। श्री कृष्ण ने इंद्रदेव से इसे मांगने का प्रयास किया, लेकिन इंद्रदेव ने मना कर दिया। इस पर इंद्रदेव और श्री कृष्ण के बीच युद्ध छिड़ गया, जिसमें अंततः श्री कृष्ण ने जीत हासिल की और पारिजात को रुक्मणी के लिए ले आए।
इस घटना से देवी सत्यभामा नाराज हो गईं और उन्होंने भी पारिजात के फूलों की मांग की, क्योंकि उन्हें स्वर्ग की अप्सरा अदिति ने आशीर्वाद दिया था कि ये फूल उन्हें चिरकालिक यौवन प्रदान करेंगे।
पारिजात के फूलों का उपयोग लक्ष्मी जी की पूजा में किया जाता है। ये फूल अपने आप पेड़ से गिरते हैं, इसलिए इन्हें लक्ष्मी जी की पूजा के लिए उपयुक्त माना जाता है।
पारिजात के फूलों की सुगंध मन को शांति और ठंडक प्रदान करती है, जिससे नकारात्मक विचार दूर हो जाते हैं।
इन फूलों को हरसिंगार के नाम से भी जाना जाता है, और ये अक्सर रात में खिलते हैं और सुबह होते-होते मुरझा जाते हैं या गिर जाते हैं। यह पौधा जिस घर में होता है, वहां शांति का वास रहता है।