भारत और जापान का सहयोग: चीन की लिथियम आपूर्ति पर निर्भरता कम करने की दिशा में कदम
भारत ने चीन को दिया करारा जवाब
चीन ने भारत को एक झटका देने की योजना बनाई थी, यह सोचकर कि वह भारत की प्रगति को रोक सकता है। लेकिन भारत ने चीन के इस आत्मविश्वास को तोड़ दिया है। एक महत्वपूर्ण निर्णय ने न केवल चीन को बल्कि अमेरिका को भी एक मजबूत संदेश दिया है। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह चीन पर निर्भर नहीं है, बल्कि चीन भारत की जरूरतों पर निर्भर है।
रेयर अर्थ मिनिरल्स, जिनमें लैंथेनाइड्स, स्कैंडियम और येट्रियम शामिल हैं, तकनीकी और औद्योगिक उत्पादों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनमें लिथियम भी शामिल है, जिसका उपयोग बैटरी में होता है। वर्तमान में, भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है।
चीन की चालाकी का असर नहीं
भारत एक बड़ा बाजार बनकर उभर रहा है, लेकिन लिथियम की आपूर्ति चीन से आती थी। हाल ही में, चीन ने भारत को लिथियम की सप्लाई रोकने का निर्णय लिया, यह सोचकर कि इससे भारत को परेशानी होगी। लेकिन भारत ने तुरंत एक वैकल्पिक व्यवस्था तैयार कर ली, जिससे चीन को झटका लगा है।
भारत और जापान का सहयोग
एक रिपोर्ट के अनुसार, ईवी बैटरी और महत्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति श्रृंखला में एक दर्जन से अधिक जापानी कंपनियों के प्रतिनिधि वर्तमान में भारत में हैं। इनमें पैनासोनिक, मित्सुबिशी केमिकल्स और सुमितोमो मेटल्स एंड माइनिंग शामिल हैं। ये कंपनियाँ भारत में साझेदारी के अवसरों की तलाश कर रही हैं।
भारतीय कंपनियों पर ध्यान
रिपोर्ट में कहा गया है कि अमरा राजा और रिलायंस जैसी भारतीय कंपनियाँ जापानी उद्योगों के साथ लिथियम-आयन बैटरी की आपूर्ति श्रृंखला पर चर्चा कर रही हैं। दोनों देशों की कंपनियाँ चीन के प्रभुत्व को चुनौती देना चाहती हैं, जो दुर्लभ पृथ्वी चुम्बकों की वैश्विक आपूर्ति का 90% नियंत्रित करता है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इन साझेदारियों से भारतीय कंपनियों को सीमित लाभ हो सकता है, क्योंकि खनन और प्रसंस्करण में चीन का नियंत्रण है।