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भारत में वन्यजीव सप्ताह: जैव विविधता की सुरक्षा का संदेश

भारत में हर साल 2 से 8 अक्टूबर तक मनाया जाने वाला वन्यजीव सप्ताह, जैव विविधता और वन्यजीवों के संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह सप्ताह हमें याद दिलाता है कि वन्यजीव न केवल पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा हैं, बल्कि वे हमारे पर्यावरण के संतुलन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जानें इस सप्ताह के महत्व और भारत में वन्यजीवों के संरक्षण के प्रयासों के बारे में।
 

भारत की जैव विविधता और वन्यजीवों का महत्व

नई दिल्ली: भारत अपनी सांस्कृतिक विविधता के साथ-साथ जैव विविधता का भी एक अद्वितीय केंद्र है। यहाँ के बर्फीले हिमालय से लेकर दक्षिण के सदाबहार वर्षावनों तक, हर क्षेत्र में अनोखे पारिस्थितिकी तंत्र मौजूद हैं।


इन पारिस्थितिकी तंत्रों में लाखों वन्यजीव निवास करते हैं, जो न केवल प्रकृति की सुंदरता को बढ़ाते हैं, बल्कि पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत हर साल वैश्विक जैव विविधता संकट की ओर ध्यान आकर्षित करता है, क्योंकि वन्यजीवों का विलुप्त होना एक गंभीर चिंता का विषय है।


वर्तमान में, हम छठे सामूहिक विलुप्ति के कगार पर हैं। पृथ्वी पहले ही पांच विलुप्तियों का सामना कर चुकी है, और यदि स्थिति ऐसी ही बनी रही, तो मानव गतिविधियों के कारण छठा विलुप्तिकरण भी संभव है। संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि अगले कुछ दशकों में लगभग दस लाख प्रजातियाँ लुप्त हो सकती हैं।


लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट के अनुसार, 1970 से 2016 के बीच, पृथ्वी की वन्यजीव आबादी में औसतन 68 प्रतिशत की गिरावट आई है। यह आंकड़ा हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि हमें प्रकृति की रक्षा के लिए अब कदम उठाने की कितनी आवश्यकता है।


यह सत्य है कि वन्यजीव पर्यावरण संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे प्राकृतिक प्रक्रियाओं को स्थिरता प्रदान करते हैं और उनके संरक्षण से न केवल पर्यावरण को लाभ होता है, बल्कि आर्थिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी फायदे होते हैं।


कई देशों ने अपने प्राकृतिक वन्यजीवों के चारों ओर पर्यटन क्षेत्र विकसित किए हैं। इसलिए, वन्यजीवों के संरक्षण के लिए समाज में जागरूकता फैलाना आवश्यक है। इसी उद्देश्य से हर साल 2 अक्टूबर से 8 अक्टूबर तक वन्यजीव सप्ताह मनाया जाता है।


वन्यजीव सप्ताह की शुरुआत 1952 में भारतीय वन्यजीवों के संरक्षण के लिए की गई थी, जिसमें विलुप्त होने वाली प्रजातियों को बचाने की योजनाएँ बनाई गईं।


भारत में पहली बार 7 जुलाई, 1955 को 'वन्य प्राणी दिवस' मनाया गया था, जिसे बाद में हर साल 2 अक्टूबर से पूरे सप्ताह तक मनाने का निर्णय लिया गया। 1956 से यह परंपरा लगातार जारी है।


दक्षिण भारत में, पेरियार वन्यजीव अभयारण्य, बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान और मुदुमलाई वन्यजीव अभयारण्य जैसे क्षेत्र वन्यजीवों की विविधता को दर्शाते हैं। भारत में 89 राष्ट्रीय उद्यान, 13 जैव आरक्षित क्षेत्र और 400 से अधिक वन्यजीव अभयारण्य हैं, जो बंगाल टाइगर, एशियाई शेर, भारतीय हाथी और अन्य वन्यजीवों का संरक्षण करते हैं।