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योगी आदित्यनाथ ने कर विभाग में प्रदर्शन आधारित तैनाती का किया ऐलान

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य कर विभाग में अधिकारियों की तैनाती को प्रदर्शन के आधार पर करने का निर्णय लिया है। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि केवल वही अधिकारी फील्ड में तैनात हों, जो लक्ष्य प्राप्ति के प्रति प्रतिबद्ध हों। बैठक में जीएसटी के सुधारों के बाद बाजार में तेजी और राजस्व वृद्धि के महत्व पर चर्चा की गई। मुख्यमंत्री ने व्यापारियों के उत्पीड़न से बचने की सलाह दी और करदाताओं के लिए सुविधाएं बढ़ाने पर जोर दिया। जानें इस बैठक में और क्या महत्वपूर्ण बातें हुईं।
 

मुख्यमंत्री का निर्देश

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट किया है कि राज्य कर विभाग में अधिकारियों की तैनाती केवल उनके प्रदर्शन के आधार पर की जाएगी। उन्होंने निर्देश दिए कि फील्ड में वही अधिकारी कार्यरत हों, जो लक्ष्य प्राप्ति के प्रति गंभीर हों और जिनकी छवि साफ हो। रविवार को उन्होंने राज्य कर विभाग की राजस्व प्राप्तियों की स्थिति की समीक्षा की और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जोनल अधिकारियों से संवाद किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि जीएसटी के नए सुधारों के बाद बाजार में तेजी देखी जा रही है, और आने वाले महीनों में इसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे। उन्होंने धनतेरस और दीपावली के अवसर पर अनावश्यक जांचों से बचने की सलाह दी, ताकि व्यापारियों और उद्यमियों को किसी प्रकार की परेशानी न हो।


राजस्व संग्रह की समीक्षा

बैठक के दौरान जोनवार समीक्षा में बताया गया कि बरेली (64.2%), सहारनपुर (63.7%), मेरठ (63.0%), गोरखपुर (62.5%) और झांसी (62.1%) जैसे क्षेत्रों का प्रदर्शन बेहतर रहा है। वहीं, कुछ क्षेत्रों में लक्ष्य पूर्ति 55 से 58 प्रतिशत के बीच रही, जहां सुधार की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने वाराणसी, गोरखपुर, प्रयागराज, अयोध्या, लखनऊ, कानपुर, इटावा, आगरा, अलीगढ़, मुरादाबाद, मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर और सहारनपुर सहित सभी जोनों की समीक्षा की। उन्होंने सभी जोनल अधिकारियों से कहा कि 50 प्रतिशत से कम राजस्व संग्रह वाले क्षेत्रों की स्थिति का कारण स्पष्ट करें और सुधार की योजना तुरंत बनाएं।


राजस्व वृद्धि का महत्व

मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्व वृद्धि राज्य की आर्थिक प्रगति का मुख्य आधार है। उन्होंने सभी अधिकारियों से निर्धारित लक्ष्यों की पूर्णता का संकल्प लेने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ अधिकारी स्वयं बाजार का निरीक्षण करें, व्यापारियों से मिलें और उनकी अपेक्षाओं को समझें। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि मंडी शुल्क में कमी से किसानों को राहत और राजस्व में वृद्धि दोनों हुई हैं। यह दर्शाता है कि पारदर्शी कर प्रणाली हमेशा लाभकारी होती है। उन्होंने व्यापारियों से संवाद बनाए रखने पर जोर दिया और जीएसटी पंजीकरण बढ़ाने के लिए ठोस प्रयास करने की आवश्यकता बताई।


वित्तीय वर्ष 2025-26 की स्थिति

मुख्यमंत्री को बताया गया कि वित्तीय वर्ष 2025-26 में सितंबर तक राज्य कर विभाग को कुल ₹55,000 करोड़ की प्राप्ति हुई है, जिसमें ₹40,000 करोड़ जीएसटी और ₹15,000 करोड़ वैट/नॉन-जीएसटी से प्राप्त हुए हैं। पिछले वित्तीय वर्ष की समान अवधि में ₹55,136.29 करोड़ की प्राप्ति हुई थी। इस वित्तीय वर्ष के लिए राज्य कर विभाग को ₹1.75 लाख करोड़ का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जो पिछले वर्ष के ₹1,56,982 करोड़ से लगभग ₹18,700 करोड़ अधिक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश को राष्ट्रीय जीएसटी संग्रह में अग्रणी योगदान देना चाहिए।


फर्जी आईटीसी के मामलों पर चर्चा

बैठक में बोगस फर्मों और फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के मामलों पर विशेष चर्चा हुई। विभाग ने अब तक 104 फर्मों में ₹873.48 करोड़ के फर्जी आईटीसी की पहचान की है, जिन पर जांच और कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्व संग्रह में पारदर्शिता और ईमानदारी सर्वोपरि है। जहां कमी दिखाई दे, वहां त्वरित सुधारात्मक कदम उठाए जाएं। उन्होंने बकाया वसूली, फर्जी आईटीसी की रोकथाम और लंबित जीएसटी/वैट मामलों के त्वरित निस्तारण पर विशेष ध्यान देने का निर्देश दिया।


करदाताओं के लिए सुविधाएं

मुख्यमंत्री ने कहा कि करदाताओं की सुविधा और विश्वास अर्जन ही स्थायी राजस्व वृद्धि का आधार है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि करदाता-मित्रवत वातावरण तैयार करते हुए ई-गवर्नेंस प्रणाली को और मजबूत किया जाए। उन्होंने कहा कि “राजस्व वृद्धि राज्य की अर्थव्यवस्था को गति देने का आधार है। विकसित उत्तर प्रदेश और विकसित भारत 2047 के लक्ष्य की दिशा में राज्य कर विभाग की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। हर अधिकारी यह सुनिश्चित करे कि कर संग्रह का प्रत्येक रुपया प्रदेश के विकास में योगदान दे।”