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शशि थरूर ने मोदी-शी मुलाकात को बताया भारत-चीन संबंधों में सकारात्मक बदलाव

कांग्रेस नेता शशि थरूर ने हाल ही में मोदी और शी जिनपिंग के बीच हुई मुलाकात को भारत-चीन संबंधों में एक महत्वपूर्ण मोड़ बताया है। उन्होंने इसे बातचीत की ओर एक आवश्यक बदलाव के रूप में देखा है, जो वर्षों के तनाव के बाद आया है। थरूर ने कहा कि यह मुलाकात न केवल मतभेदों को विवाद में बदलने से रोकने का प्रयास है, बल्कि दोनों देशों के बीच संबंधों को सुधारने का एक संकेत भी है। जानें इस मुलाकात के पीछे की कहानी और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
 

भारत-चीन संबंधों में नई दिशा

नई दिल्ली: कांग्रेस के प्रमुख नेता और पूर्व राजनयिक शशि थरूर ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई मुलाकात को भारत-चीन संबंधों में एक महत्वपूर्ण और सकारात्मक मोड़ बताया है। थरूर के अनुसार, यह मुलाकात वर्षों के संघर्ष और तनाव के बाद "बातचीत की ओर एक आवश्यक बदलाव" है। यह बयान उस बैठक के संदर्भ में आया है, जो हाल ही में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के दौरान हुई थी।


थरूर ने कहा कि 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प, जिसमें 20 भारतीय सैनिकों की जान गई थी, ने दोनों देशों के रिश्तों पर गहरा असर डाला था। सीमा पर तनाव बढ़ गया, व्यापार में कमी आई और दोनों देशों के बीच की दूरी बढ़ गई। उनके अनुसार, इस मुलाकात ने उस जमी हुई स्थिति को सुधारने का कार्य किया। थरूर ने कहा कि भले ही इस बैठक से कोई बड़ा नतीजा न निकला हो, लेकिन इसने एक महत्वपूर्ण संकेत दिया - बातचीत के रास्ते पर लौटने का एक सोचा-समझा निर्णय।


थरूर ने इस बात पर जोर दिया कि दोनों नेताओं ने उस सिद्धांत को फिर से दोहराया है, जो लंबे समय से खो गया था - "मतभेदों को विवाद नहीं बनाना चाहिए।" उन्होंने इसे केवल एक कूटनीतिक बयान नहीं, बल्कि 2020 के बाद से चल रही "हिंदी-चीनी बाय-बाय" की बयानबाजी को समाप्त करने की एक कोशिश बताया। थरूर ने डायरेक्ट फ्लाइट्स का पुनः आरंभ, वीजा नियमों में ढील और भारतीय तीर्थयात्रियों की तिब्बत यात्रा जैसे कदमों को सकारात्मक संकेत माना। उनके अनुसार, यह दर्शाता है कि दोनों देश अतीत की कड़वाहट को पीछे छोड़ना चाहते हैं। यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब वैश्विक तनाव बढ़ रहा है, व्यापार युद्ध छिड़ रहे हैं और गठबंधन तेजी से बदल रहे हैं। ऐसे में, भारत और चीन का बातचीत की मेज पर लौटना एक स्वागत योग्य कदम है।