सुखना झील के प्रबंधन योजना से जल भंडारण में सुधार की उम्मीद
सुखना झील प्रबंधन योजना का प्रस्ताव
सुखना झील प्रबंधन योजना, (चंडीगढ़) : चंडीगढ़ की प्रसिद्ध मानव निर्मित झील सुखना में जल भंडारण बढ़ाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। हर वर्ष बारिश के दौरान झील में काफी मात्रा में गाद जमा हो जाती है। पानी के मौजूद रहने पर गाद निकालना कठिन होता है, इसलिए गाद की सफाई तब की जाती है जब झील का कोई हिस्सा पूरी तरह सूख जाता है।
इंटीग्रेटेड सुखना प्रबंधन योजना
अब प्रशासन ने झील के लिए एक इंटीग्रेटेड सुखना प्रबंधन योजना तैयार की है, जिसे जल्द ही वैटलैंड अथॉरिटी की बैठक में अनुमोदन के लिए पेश किया जाएगा। इस योजना का उद्देश्य झील के संरक्षण के साथ-साथ जल भंडारण क्षमता को बनाए रखना है। सुखना झील की जल भंडारण क्षमता बढ़ाने के लिए दो विकल्प सुझाए गए हैं।
विकल्पों पर तकनीकी अध्ययन की आवश्यकता
इन विकल्पों पर कार्य आरंभ करने से पहले प्रमुख तकनीकी संस्थानों से अध्ययन कराना आवश्यक होगा। पहला विकल्प यह है कि पानी के रहते हुए गाद को निकाला जाए। इस पर पहले भी चर्चा हो चुकी है। कुछ बड़ी झीलों में इसी प्रकार के गाद हटाने के प्रोजेक्ट का अध्ययन किया गया था। हालांकि, सुखना की छोटी आकार के कारण पहले इस पर सहमति नहीं बनी थी।
पिछले प्रयासों का अनुभव
पहले भी हुआ हाइट बढ़ाने का काम
अधिकारियों के अनुसार, 2002-2003 के दौरान झील के रेगुलेटरी एंड की ऊंचाई को दो फुट तक बढ़ाया गया था, जिससे झील की जल धारण क्षमता लगभग 27 प्रतिशत तक बढ़ गई थी। उस समय भी इस प्रस्ताव का कई विशेषज्ञों ने विरोध किया था, जिन्होंने चेतावनी दी थी कि इससे बाढ़ का खतरा बढ़ सकता है।
प्रबंधन योजना के उद्देश्य
इसलिए, पहले विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार कार्य करना आवश्यक है। दरअसल, दो फुट ऊंचाई बढ़ाने से गाद निकाले बिना ही जल धारण क्षमता 20 प्रतिशत या उससे अधिक बढ़ाई जा सकती है। लेकिन इस विकल्प में भी समस्या है कि ऊंचाई बढ़ाने के लिए बहुत अधिक खर्च करना पड़ेगा।
लेक की समस्याओं को सुलझाने के लिए ये मैनेजमेंट प्लान
प्रशासन ने वर्ल्ड वाइड फंड (WWF) के सहयोग से यह प्रबंधन योजना तैयार की है। सुखना की गाद, जंगली घास और अतिक्रमण की समस्याओं को हल करने के लिए यह योजना बनाई गई है। जल धारण क्षमता बढ़ाने के अलावा, कैचमेंट क्षेत्र की सुरक्षा के प्रावधान भी शामिल हैं। चंडीगढ़ प्रशासक की अध्यक्षता में वैटलैंड अथॉरिटी की बैठक होगी, जिसमें चंडीगढ़ के अलावा पंजाब और हरियाणा के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल होंगे।