हरियाणा में गौशालाओं के लिए नई तकनीक का प्रयोग
गोवंश का इन-आउट रिकॉर्ड रखने की योजना
हरियाणा सरकार ने गौशालाओं की निगरानी के लिए एक नई योजना तैयार की है। राज्य में 680 गौशालाओं के मुख्य गेट पर मैटर डिटेक्टर जैसी तकनीक की मशीनें लगाने का निर्णय लिया गया है। इस तकनीक के माध्यम से गोवंश का इन-आउट रिकॉर्ड रखा जाएगा। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इस योजना को मंजूरी दे दी है। पशुपालन विभाग के निदेशक डॉ. प्रेम ने बताया कि इस योजना पर जल्द ही कार्य प्रारंभ होगा। सरकार का उद्देश्य सही आंकड़े एकत्रित कर गोवंश के उत्थान के लिए नई योजनाएं बनाना है। हरियाणा में 22 जिलों में कुल 680 गौशालाएं पंजीकृत हैं, जिनमें लगभग 4 लाख 3 हजार गोवंश हैं।
सड़क हादसों में कमी लाने की कोशिश
इस योजना के तहत सरकार के पास गोवंश के आने-जाने का डेटा होगा, जिससे यह पता चलेगा कि कितने गोवंश सड़क पर बेसहारा घूम रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हरियाणा में प्रतिदिन लगभग 50 सड़क हादसे गोवंश के कारण होते हैं, और हर महीने कम से कम 10 लोगों की जान जाती है। पिछले 2.5 वर्षों में बेसहारा गायों के कारण 300 लोगों की मौत हो चुकी है। सरकार इन हादसों को कम करने के लिए प्रयासरत है।
बेसहारा गोवंश को गौशाला में लाने की योजना
जब सरकार के पास यह डेटा होगा कि कितने गोवंश गौशाला से बाहर हैं, तो उन्हें वापस लाने के लिए उपाय किए जाएंगे। इसके लिए जिला उपायुक्त और जिला पशु चिकित्सा अधिकारी की जिम्मेदारी तय की जाएगी। पशुपालन विभाग के अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों की विशेष ड्यूटी भी निर्धारित की जाएगी।
गोवंश के लिए आर्थिक सहायता
हरियाणा सरकार गौशालाओं में रहने वाले गोवंश के लिए प्रतिदिन आर्थिक सहायता प्रदान करती है। वर्तमान में, प्रति गाय 20 रुपए, नंदी के लिए 25 रुपए और बछड़े या बछड़ी के लिए 10 रुपए की सब्सिडी दी जा रही है।
सब्सिडी में सुधार की आवश्यकता
हाल ही में कुछ गोशालाओं में गोवंश की देखभाल में कमी की शिकायतें आई हैं। कुछ संचालक गोवंश को सड़क पर छोड़ देते हैं, फिर भी वे सब्सिडी प्राप्त करते हैं। सरकार अब केवल गौशाला में रहने वाले गोवंश के लिए सब्सिडी देने पर विचार कर रही है।