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हरियाणा में मौसम का हाल: बारिश और ओलावृष्टि का अलर्ट

हरियाणा में मौसम ने एक बार फिर से करवट ली है, जहां पश्चिमी विक्षोभ के कारण कई जिलों में बारिश और ओलावृष्टि हो रही है। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि 6 और 7 अक्टूबर को भारी बारिश की संभावना है, जिससे किसानों की फसलों को नुकसान हो सकता है। जानें किस प्रकार के मौसम का सामना करना पड़ेगा और किसानों के लिए क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।
 

हरियाणा मौसम अपडेट 6 अक्टूबर: चंडीगढ़

हरियाणा में मौसम ने एक बार फिर से बदलाव किया है। पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से रविवार को कई जिलों में जोरदार बारिश और ओलावृष्टि हुई। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, 6 और 7 अक्टूबर 2025 को पूरे राज्य में भारी बारिश और कुछ स्थानों पर ओलावृष्टि की संभावना है।


पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव

मौसम विशेषज्ञ डॉ. चंद्रमोहन के अनुसार, उत्तरी पर्वतीय क्षेत्रों में एक नया पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो गया है। इसके चलते पश्चिमी पंजाब और आस-पास चक्रवातीय क्षेत्र बन गया है।


रविवार को सिरसा, फतेहाबाद और पश्चिमी हिसार में तेज हवाओं के साथ हल्की से मध्यम बारिश हुई। सोमवार सुबह तक यह विक्षोभ और मजबूत होगा, जिससे दक्षिणी पंजाब और उत्तरी राजस्थान में कम दबाव का क्षेत्र बनेगा। अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से आ रही नमी के कारण 6 और 7 अक्टूबर को भारी बारिश और ओलावृष्टि की संभावना है। 8 अक्टूबर को केवल उत्तरी और पूर्वी जिलों में बारिश होगी, और 9 अक्टूबर से मौसम साफ होने लगेगा।


तापमान में गिरावट

पश्चिमी विक्षोभ के गुजरने के बाद हवाएं उत्तरी दिशा में चलने लगेंगी, जिससे दिन और रात के तापमान में कमी आएगी। मौसम विभाग का कहना है कि अगले हफ्ते से सुबह और रात में हल्की ठंड का अनुभव होने लगेगा, जिससे हरियाणा का मौसम और ठंडा हो जाएगा।


फसलों को नुकसान

रविवार शाम को सिरसा और हिसार में हुई बारिश और ओलावृष्टि ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। सिरसा के जमाल गांव और आसपास के क्षेत्रों में 15 मिनट तक ओले गिरे, जिससे खेतों में खड़ी फसलें झुक गईं। हिसार के नारनौंद और हांसी में भी ओलावृष्टि हुई। भिवानी में तेज हवाओं ने कपास और बाजरा की फसलों को नुकसान पहुंचाया। मंडियों में खुले में रखी धान की बोरियां भीग गईं, जिन्हें किसान तिरपाल से ढकते हुए देखे गए।


किसानों के लिए सलाह

कृषि विभाग ने किसानों को सतर्क रहने की सलाह दी है। यदि बारिश अगले दो दिन तक इसी तरह जारी रही, तो धान और कपास की फसलों को भारी नुकसान हो सकता है। कटी हुई फसलों को सुरक्षित स्थान पर रखें और मंडियों में अनाज को खुले में न छोड़ें।