हिमाचल प्रदेश में मानसून के कहर से जनजीवन प्रभावित
प्राकृतिक आपदा का सामना कर रहा हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश, जो अपनी खूबसूरत वादियों और ठंडी जलवायु के लिए प्रसिद्ध है, इस समय प्रकृति के प्रकोप का सामना कर रहा है। हाल ही में शुरू हुए मानसून ने राज्य में भारी तबाही मचाई है, जिससे जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। पिछले कुछ दिनों से हो रही मूसलधार बारिश ने कई जिलों में तबाही का मंजर खड़ा कर दिया है, विशेष रूप से मंडी जिला सबसे अधिक प्रभावित हुआ है।राज्यभर में लगातार बारिश, भूस्खलन और अचानक आई बाढ़ के कारण अब तक 37 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, जबकि लगभग 40 लोग लापता हैं। मंडी जिले में स्थिति सबसे गंभीर है, जहां 11 लोगों की मृत्यु की पुष्टि हो चुकी है और 34 लोग अब भी लापता हैं। कई घर जमींदोज हो गए हैं और बुनियादी ढांचा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ है।
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने राज्य के विभिन्न हिस्सों के लिए भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। 5 जुलाई को शिमला, सोलन और सिरमौर जिलों के लिए ऑरेंज अलर्ट घोषित किया गया है। 6 जुलाई को ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर, कांगड़ा, चंबा और मंडी जिलों में भी यही चेतावनी लागू रहेगी। ऑरेंज अलर्ट का मतलब है कि इन क्षेत्रों में भारी से अति भारी बारिश की संभावना है, जिससे बाढ़, भूस्खलन और सड़कों के अवरुद्ध होने की घटनाएं बढ़ सकती हैं। शेष जिलों में येलो अलर्ट जारी किया गया है।
मंडी जिले की स्थिति अत्यंत नाजुक बनी हुई है। यहां नदियों का जलस्तर अचानक बढ़ने से बाढ़ आई है, जिससे अनेक गांवों का संपर्क टूट गया है। प्रभावित क्षेत्रों में बिजली, पानी और संचार सेवाएं पूरी तरह बाधित हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF), स्थानीय प्रशासन और पुलिस की टीमें राहत एवं बचाव कार्यों में जुटी हुई हैं। हवाई मार्ग से कटे हुए इलाकों में राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है।
राजधानी शिमला में भी बारिश का असर गहराता जा रहा है। स्कूल परिसरों में पानी भर जाने के कारण कक्षाएं रद्द करनी पड़ी हैं, जिससे विद्यार्थियों और अभिभावकों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। शिमला की एक चार लेन सड़क का हिस्सा ढह गया है, वहीं मंडी में एक मकान पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है। राज्यभर में लगभग 250 से अधिक सड़कों पर आवागमन बंद है, 500 से अधिक बिजली के ट्रांसफार्मर निष्क्रिय हो गए हैं और 700 से अधिक पेयजल योजनाएं ठप पड़ी हैं।
हिमाचल प्रदेश में इस तरह की बार-बार आने वाली आपदाओं को लेकर विशेषज्ञों और अधिकारियों ने चिंता जताई है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के विशेष सचिव डीसी राणा ने कहा है कि ऐसी चरम मौसमी घटनाएं वैश्विक तापमान में वृद्धि का नतीजा हैं। उन्होंने आने वाले वर्षों में बेहतर आपदा प्रबंधन और पूर्व चेतावनी प्रणाली की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
भविष्यवाणी के अनुसार, आने वाले दिनों में बारिश का सिलसिला थमने के आसार नहीं हैं। राज्य प्रशासन ने हाई अलर्ट जारी कर दिया है और सभी संबंधित विभागों को राहत कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। प्रभावित क्षेत्रों में राहत शिविर स्थापित किए जा रहे हैं और आवश्यक सामग्री की आपूर्ति की जा रही है। नागरिकों से आग्रह किया गया है कि वे प्रशासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करें और सुरक्षित स्थानों पर रहें।