हिमाचल प्रदेश में लव जिहाद: सैलूनों का बढ़ता खतरा
लव जिहाद: नारी की शक्ति और सुरक्षा
लव जिहाद: भारत में नारी को सदियों से शक्ति का प्रतीक माना गया है। नवरात्रि के दौरान शक्ति की उपासना की जाती है। हिमाचल प्रदेश में पाँच सिद्ध शक्ति पीठ हैं, जहाँ की प्राकृतिक सुंदरता और शांतिपूर्ण जीवनशैली के लिए लोग जाने जाते हैं। हालाँकि, हाल के समय में यहाँ एक नई समस्या उभर रही है, जो न केवल हिमाचल बल्कि पूरे भारत की महिलाओं को प्रभावित कर रही है। यह समस्या हमारे समाज को एक आडंबर की ओर धकेल रही है, जहाँ सुंदरता के लोभ ने मातृ शक्ति की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है।
सैलून का मायाजाल
सुंदरता नारी का स्वाभाविक गुण है, लेकिन आजकल इसे एक खतरे के रूप में देखा जा रहा है। महिलाएँ सजने-संवरने के लिए सैलून जाने लगी हैं, जिससे उनकी सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हो गया है। सैलून ही वह स्थान है जहाँ महिलाएँ अपने मेकअप के लिए जाती हैं, लेकिन यह स्थान अब एक गंभीर समस्या बन चुका है।
हिमाचल में बढ़ता खतरा
सैलूनों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है, और इनमें जाने वाली अधिकांश महिलाएँ हिंदू समुदाय से हैं। यह चिंता का विषय है कि इन सैलूनों को खोलने वाले अधिकांश लोग बाहरी राज्यों से आए प्रवासी हैं, जो मुस्लिम समुदाय से संबंधित हैं। उनका एकमात्र उद्देश्य 'जिहाद' है। यह विडंबना है कि एक समय जब भारतीय महिलाओं की सुरक्षा को लेकर युद्ध होते थे, आज वही महिलाएँ सैलून में परपुरुषों के साथ मेकअप करवा रही हैं।
चौंकाने वाले आंकड़े
हाल के आँकड़ों के अनुसार, हिमाचल में पिछले कुछ वर्षों में 11,000 लोग लापता हो चुके हैं। यह जानकारी एक सेवानिवृत्त सेना अधिकारी की आरटीआई से प्राप्त हुई है। सैलून में काम करने वाली हिंदू लड़कियाँ अक्सर अपने परिवारों से दूर हो जाती हैं, जिससे परिवार टूटने की घटनाएँ बढ़ रही हैं। भारत में लगभग 65 लाख सैलून हैं, जिनमें से केवल 30% रेजिस्टर्ड हैं। हिमाचल में भी सैलूनों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन रेजिस्टर्ड सैलूनों की जानकारी उपलब्ध नहीं है।
लव जिहाद का नया अड्डा
पिछले कुछ वर्षों में लव जिहाद की घटनाएँ बढ़ी हैं। हिंदू लड़कियों को इन यूनिसेक्स सैलून में फंसाया जा रहा है, जिससे वे मानसिक और शारीरिक रूप से शोषित हो रही हैं। राजस्थान का अजमेर कांड इसका एक उदाहरण है। यह एक गंभीर मुद्दा है कि क्या सरकार इन सैलूनों पर ध्यान दे रही है या नहीं।
पुरुष भी नहीं बचे
इन सैलूनों का प्रभाव पुरुषों पर भी पड़ रहा है। यहाँ की दरें इतनी अधिक हैं कि जो काम सामान्यतः कम कीमत में होता है, वह यहाँ महंगा हो जाता है। प्रवासी सैलून हिमाचल के लोगों के लिए खतरा बनते जा रहे हैं। यह समय है कि हम जागरूक हों और सरकार को भी इस दिशा में कदम उठाने चाहिए।