7 जून 2025: निर्जला एकादशी का महत्व और शुभ मुहूर्त
निर्जला एकादशी का महत्व
7 जून 2025 का पंचांग: निर्जला एकादशी व्रत का पालन और शुभ कार्यों का समय: 7 जून 2025 को ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि और शनिवार का दिन है, जो धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
यह दिन निर्जला एकादशी व्रत के पारण का है, जिसे श्रद्धा और नियम के साथ करना चाहिए। इस पवित्र अवसर पर भगवान विष्णु और हनुमान जी की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है। इसके साथ ही, पीपल, बेल और आम के पेड़ों का रोपण, गौ माता की सेवा और जरूरतमंदों को दान देने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
आज का दिन धार्मिक कार्यों के लिए अत्यंत शुभ है। सुबह ब्रह्म मुहूर्त में 4:09 से 5:05 बजे तक ध्यान और पूजा करने से मन को शांति मिलती है। अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11:52 से 12:48 बजे तक है, जो नए कार्यों की शुरुआत के लिए उपयुक्त है। संध्या पूजन का समय शाम 6:21 से 7:07 बजे तक है, जिसमें भगवान विष्णु और हनुमान जी की आराधना विशेष लाभकारी होगी।
हनुमान मंदिर जाकर उनकी मूर्ति की तीन परिक्रमा करें और हनुमान चालीसा का सात बार पाठ करें। इसके अलावा, पीपल के पेड़ को जल अर्पित कर सात परिक्रमा करने और सुंदरकांड का पाठ करने से जीवन में सकारात्मकता आती है। गौशाला में गायों को रोटी, गुड़ और हरा चारा खिलाने से अक्षय पुण्य मिलता है।
विशेष कार्यों से बचें
इस दिन कुछ विशेष कार्यों से बचना भी आवश्यक है। राहुकाल सुबह 9:00 से 10:30 बजे तक रहेगा, जिसमें कोई भी शुभ कार्य शुरू करने से बचें। पूर्व दिशा में यात्रा से बचना चाहिए, क्योंकि यह दिशा शूल का समय है। यदि यात्रा आवश्यक हो, तो एक दिन पहले प्रस्थान की योजना बनाएं।
शनिदेव को न्याय का कारक माना जाता है, इसलिए किसी के साथ अन्याय न करें और सात्विक व्यवहार बनाए रखें। घर की छत पर पक्षियों के लिए दाना-पानी रखें और राहगीरों को मीठा जल पिलाएं। बुजुर्गों और संतों का आशीर्वाद लेने से जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है। मस्तक पर लाल रोली का तिलक लगाना भी शुभ माना जाता है।
पंचांग का महत्व
7 जून 2025 का पंचांग न केवल धार्मिक कार्यों के लिए मार्गदर्शन देता है, बल्कि यह भी बताता है कि कैसे छोटे-छोटे कार्यों से जीवन में पुण्य और सकारात्मकता लाई जा सकती है।
ज्येष्ठ मास की द्वादशी तिथि पर वृक्षारोपण, दान और पूजा-पाठ जैसे कार्य न केवल आत्मिक शांति देते हैं, बल्कि पर्यावरण और समाज के प्रति आपकी जिम्मेदारी को भी दर्शाते हैं। इस दिन को श्रद्धा और सात्विकता के साथ मनाएं, ताकि आपका जीवन सुख, शांति और समृद्धि से भरा रहे।