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ISRO और NASA का NISAR मिशन: पृथ्वी की निगरानी के लिए नया उपग्रह लॉन्च

ISRO ने NASA के साथ मिलकर NISAR उपग्रह का सफल प्रक्षेपण किया है, जो पृथ्वी की सतह के सूक्ष्म बदलावों की निगरानी करेगा। यह उपग्रह हर 12 दिन में पूरी पृथ्वी का स्कैन करेगा और उच्च-रिजॉल्यूशन डेटा प्रदान करेगा। NISAR का उद्देश्य प्राकृतिक आपदाओं, जलवायु परिवर्तन और अन्य महत्वपूर्ण पर्यावरणीय परिवर्तनों की निगरानी करना है। यह मिशन दोनों एजेंसियों के बीच एक दशक से अधिक के सहयोग का परिणाम है और वैश्विक स्तर पर डेटा संग्रहण के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा।
 

NISAR उपग्रह का सफल प्रक्षेपण


नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने बुधवार को नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (NISAR) मिशन का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया। यह लॉन्च आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से शाम 5:40 बजे जीएसएलवी-एस16 रॉकेट के माध्यम से किया गया। यह पहला अवसर है जब किसी जीएसएलवी रॉकेट द्वारा इस प्रकार के उपग्रह को सूर्य-स्थिर कक्षा में स्थापित किया गया है।




जीएसएलवी रॉकेट लगभग 19 मिनट की उड़ान के बाद उपग्रह को 745 किलोमीटर की ऊँचाई पर सूर्य तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षा में स्थापित करेगा। यह कक्षा उपग्रह को पृथ्वी के ध्रुवों के ऊपर से गुजरने की अनुमति देती है, जिससे सूरज की रोशनी की स्थिति हर बार समान रहती है। कावुलुरू ने बताया कि नासा ने NISAR के लिए एल-बैंड प्रदान किया है, जबकि इसरो ने सिंथेटिक अपर्चर रडार के लिए एस-बैंड उपलब्ध कराया है। इससे बड़ी मात्रा में डेटा एकत्र करना संभव होगा। यह उपग्रह अंटार्कटिका, उत्तरी ध्रुव और महासागरों से संबंधित महत्वपूर्ण डेटा प्रदान करेगा।


वैश्विक डेटा संग्रहण और उपयोग

विश्व से एकत्र होगा डाटा, हर देश की सरकार करेंगी इस्तेमाल


कावुलुरू ने बताया कि NISAR पूरे विश्व से डेटा एकत्र करेगा, जिसका उपयोग व्यावसायिक और वैज्ञानिक उद्देश्यों के लिए किया जाएगा। इसरो इस डेटा का प्रसंस्करण करेगा और अधिकांश डेटा को ओपन-सोर्स के रूप में उपलब्ध कराएगा, ताकि वैश्विक उपयोगकर्ता इसे आसानी से प्राप्त कर सकें। इससे हिमालय और अंटार्कटिका जैसे क्षेत्रों में वनों में होने वाले परिवर्तनों, पर्वतों की स्थिति और ग्लेशियरों की गतिविधियों की निगरानी संभव होगी।


12 दिन में पूरी पृथ्वी का डेटा

12 दिन में पूरी पृथ्वी का डेटा


इसरो के अनुसार, NISAR उपग्रह का प्रक्षेपण दोनों अंतरिक्ष एजेंसियों के बीच एक दशक से अधिक लंबे सहयोग का महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह उपग्रह हर 12 दिनों में पूरी पृथ्वी का स्कैन करेगा, और दिन-रात, हर मौसम में उच्च-रिजॉल्यूशन डेटा प्रदान करेगा। यह उपग्रह पृथ्वी की सतह पर सूक्ष्म बदलावों की पहचान करने में सक्षम होगा, जैसे वनस्पति में परिवर्तन, बर्फ की चादरों का खिसकना और भूमि का विकृति।


उपग्रह की विशेषताएँ

दो बैंड पर काम करता है यह उपग्रह


जीएसएलवी-एफ18 इस उपग्रह को 743 किलोमीटर ऊँचाई पर स्थापित करेगा, जिसका झुकाव 98.40 डिग्री होगा। NISAR धरती की निगरानी करने वाला पहला उपग्रह है, जिसमें नासा का L-बैंड और इसरो का S-बैंड शामिल है। यह घने जंगलों के नीचे से भी डेटा एकत्र करने में सक्षम है। इसरो प्रमुख ने बताया कि इसमें दो प्रमुख पेलोड हैं: एक एस-बैंड पेलोड, जिसे इसरो ने अपने अहमदाबाद लैब में विकसित किया है, और दूसरा एल-बैंड पेलोड, जिसे जेपीएल अमेरिका द्वारा विकसित किया गया है।


सिंथेटिक अपर्चर रडार तकनीक

सिंथेटिक अपर्चर रडार


NISAR सैटेलाइट में एसएआर तकनीक का उपयोग किया गया है, जिससे रडार सिस्टम की मदद से उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें ली जा सकेंगी। यह तकनीक हर 12 दिन में पूरी पृथ्वी की सतह की उच्च-रिजॉल्यूशन तस्वीरें लेने में सक्षम है। दोनों रडार नासा के 12 मीटर के फैलने योग्य मेश रिफ्लेक्टर एंटीना के जरिए डेटा प्राप्त करेंगे, जिसे इसरो के I3K बस में जोड़ा गया है। यह उपग्रह 242 किलोमीटर की चौड़ाई और उच्च स्थानिक रेजॉल्यूशन के साथ पृथ्वी का निरीक्षण करेगा।