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Mercedes कार में तकनीकी खामियों पर उपभोक्ता कोर्ट का बड़ा फैसला

एक नई मर्सिडीज कार में तकनीकी समस्याओं के समाधान में विफल रहने पर उपभोक्ता कोर्ट ने कंपनी पर 2.85 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। शिकायतकर्ता गुरनाम सिंह ने कार की खराबी, मानसिक पीड़ा और समय की बर्बादी के लिए मुआवजे की मांग की थी। आयोग ने माना कि कार का उपयोग व्यक्तिगत था, जिससे शिकायतकर्ता उपभोक्ता की श्रेणी में आते हैं। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और कोर्ट के आदेश के बारे में।
 

Mercedes कार में समस्या और उपभोक्ता कोर्ट का निर्णय

Mercedes कार में आई खराबी पर 2.85 लाख का जुर्माना: एक नई मर्सिडीज कार में तकनीकी समस्याओं के समाधान में विफल रहने पर उपभोक्ता कोर्ट ने कंपनी पर 2.85 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। सेक्टर-46 के निवासी गुरनाम सिंह ने मर्सिडीज बेंज और इसके अधिकृत डीलर आईजेएम पंजाब मोटर्स के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी।


कंज्यूमर कोर्ट की कार्रवाई


शिकायत में बताया गया कि गुरनाम सिंह ने दिसंबर 2023 में मर्सिडीज बेंज सी-200 कार बुक की थी, जिसकी कुल कीमत 56,05,500 रुपए थी। इसके अतिरिक्त, 1,19,000 रुपए बीमा और 5,05,907 रुपए रजिस्ट्रेशन पर खर्च किए गए।


कार 20 दिसंबर 2023 को डिलीवर की गई, लेकिन डिलीवरी के बाद से ही कई तकनीकी खामियां सामने आईं। सबसे बड़ी समस्या मर्सिडीज मी ऐप और कार कम्युनिकेशन फीचर में थी, जो कि कीलेस एंट्री, इंजन स्टार्ट, एसी कंट्रोल और ट्रैकिंग जैसी सुविधाओं को रिमोट से संचालित करने में मदद करता है।


यह ऐप शुरू से ही ठीक से काम नहीं कर रहा था। शिकायतकर्ता ने 15 जनवरी 2024 से लगातार ईमेल और सर्विस सेंटर में जाकर शिकायतें कीं, लेकिन कोई समाधान नहीं मिला।


इसके अलावा, पेनोरोमिक रूफ का पर्दा, पैसेंजर सीट, रियर कर्टन, वॉशर फ्लूइड बॉटल में लीक, और 80A फ्यूज की रिकॉल जैसी समस्याएं भी सामने आईं। कंपनी ने कुछ मरम्मत की, लेकिन समस्याएं बनी रहीं। 1 मई को भेजे गए ईमेल में कंपनी ने बताया कि चेक फ्लूइड लिड मोटर बदली गई है, लेकिन फ्रंट लेफ्ट साइड मेमोरी सीट का स्विच अभी भी खराब है।


शिकायतकर्ता ने कार की खराबी, मानसिक पीड़ा और समय की बर्बादी के लिए 20 लाख रुपए हर्जाना, 15 लाख रुपए मुकदमे का खर्च और कार की पूरी कीमत, बीमा और रजिस्ट्रेशन की राशि वापस करने की मांग की थी। कंपनी ने उत्तर में कहा कि कार में कोई मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट नहीं है और शिकायतकर्ता उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता।


हालांकि, आयोग ने माना कि कार कंपनी के डायरेक्टर गुरनाम सिंह के व्यक्तिगत उपयोग के लिए खरीदी गई थी, इसलिए वे उपभोक्ता की श्रेणी में आते हैं। आयोग ने यह भी माना कि कार में मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट साबित नहीं हुआ, लेकिन बार-बार आई तकनीकी समस्याएं और खराब सर्विस उपभोक्ता सेवा में कमी को दर्शाती हैं।


मुकदमे के खर्च का भी भुगतान करना होगा


आयोग ने आदेश दिया कि कंपनी 30 दिन के भीतर कार की फ्रंट लेफ्ट साइड मेमोरी सीट का स्विच बदले। ऐसा न करने पर हर दिन 2000 रुपए का जुर्माना लगेगा। साथ ही, शिकायतकर्ता को मानसिक पीड़ा और उत्पीड़न के लिए 2.5 लाख रुपए और मुकदमे के खर्च के लिए 35 हजार रुपए देने का आदेश दिया गया है। यह राशि 30 दिन में न देने पर 9 फीसदी वार्षिक ब्याज के साथ वसूली की जाएगी।