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अंबाला कॉलेज में भ्रष्टाचार का मामला: 10 लोगों पर लगे गंभीर आरोप

राजकीय पीजी कॉलेज अंबाला में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के तहत एसीबी ने 10 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। इसमें तत्कालीन प्रिंसिपल और सहायक प्रोफेसर शामिल हैं। शिकायतकर्ता ने 5 जून 2024 को ईमेल के माध्यम से शिकायत की थी, जिसके बाद जांच शुरू हुई। आरोप है कि कॉलेज में फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर करोड़ों रुपये की हेराफेरी की गई। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और क्या कार्रवाई की गई है।
 

अंबाला कॉलेज में भ्रष्टाचार की जांच

अंबाला (अंबाला कॉलेज भ्रष्टाचार मामला): राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने राजकीय पीजी कॉलेज अंबाला कैंट में सरकारी खरीद नियमों के उल्लंघन, सरकारी धन के गबन और अन्य गंभीर आरोपों के तहत तत्कालीन प्रिंसिपल, सहायक प्रोफेसर और वेंडरों सहित 10 व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।


बड़ी मात्रा में धन की हेराफेरी

इन व्यक्तियों पर करोड़ों रुपये की हेराफेरी के आरोप लगाए गए हैं। एसीबी के डीएसपी ओम प्रकाश की शिकायत पर यह प्राथमिकी दर्ज की गई। इसमें तत्कालीन प्राचार्य अरुण जोशी, पूर्व प्राचार्य खुशीला, वर्तमान प्राचार्य देशराज बाजवा, सहायक प्रोफेसर अतुल यादव, भूगोल के अजय चौहान, अंग्रेजी के मुनीष त्रिगठिया, और वेंडर राकेश कालरा, राकेश कुमार, आशीष शामिल हैं।


शिकायतकर्ता को परेशान किया गया

इस मामले की शिकायत करनाल निवासी रमेश अहलावत ने एसीबी को 5 जून 2024 को ईमेल के माध्यम से की थी। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा गठित एक तथ्य-खोज समिति ने प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर जांच के आदेश दिए। समिति ने इसे बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी मानते हुए एंटी करप्शन ब्यूरो से जांच कराने की सिफारिश की थी।


फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल

खरीद बिलों में नकली जीएसटी नंबर और फर्जी एचएसएन कोड का उपयोग किया गया। राज्य वस्तु एवं सेवा कर (एसजीएसटी) और केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) की चोरी की गई। कागज पर नकली फर्मों और विक्रेताओं को दिखाया गया, जो या तो अस्तित्व में नहीं थे या उन्हीं लोगों द्वारा नियंत्रित थे।


अनधिकृत निर्माण कार्य

गवर्नमेंट पीजी कॉलेज परिसर में कमरे और इमारतों का निर्माण लोक निर्माण विभाग के माध्यम से नहीं, बल्कि अपने स्तर पर किया गया। कैंटीन, स्टूडेंट होम, सेमिनार हॉल और जिमखाना में स्वीकृत भवन योजना के विरुद्ध परिवर्तन किए गए।


शिकायतों को दबाने का आरोप

एसीबी में फरवरी 2024 से शिकायत लंबित है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। आरोप है कि आरोपी अधिकारियों को जानबूझकर संरक्षण दिया गया। कार्रवाई न होने के कारण, कॉलेज में दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ की आशंका भी है।


शिकायतकर्ता का स्थानांतरण

आरोप है कि शिकायतकर्ता का तबादला झूठे आधारों पर किया गया है। उन्हें पदोन्नति देने से मना कर दिया गया है और सेवा रिकॉर्ड में प्रतिकूल टिप्पणी की गई है। शिकायतकर्ता को लगातार परेशान किया गया है।


सरकारी धन का दुरुपयोग

वर्ष 2021 से वस्तुओं और कार्यों की खरीद में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया है। राज्य केंद्रीय पुस्तकालय अनुदान के 2 करोड़ का दुरुपयोग किया गया है।