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अंबाला हनुमान मंदिर: आस्था और इतिहास का अद्भुत संगम

अंबाला हनुमान मंदिर, जो सदियों से आस्था और इतिहास का प्रतीक है, मुगल काल की अनकही कहानियों को समेटे हुए है। यहाँ की धार्मिकता और सांस्कृतिक धरोहर इसे विशेष बनाती है। भक्त प्रतिदिन यहाँ आकर हनुमान जी की कृपा की कामना करते हैं। जानें इस मंदिर की ऐतिहासिकता और महत्व के बारे में।
 

अंबाला हनुमान मंदिर: आस्था और इतिहास का अद्भुत संगम

अंबाला हनुमान मंदिर सदियों से श्रद्धा और ऐतिहासिकता का प्रतीक बना हुआ है। यह स्थल न केवल बजरंग बली के अनुयायियों के लिए पवित्र है, बल्कि मुगल काल की एक अनकही कहानी भी अपने भीतर समेटे हुए है।


स्थानीय निवासियों का कहना है कि जब औरंगजेब इस मंदिर के पास से गुजरते थे, तो यहाँ ढोल और नगाड़े बजाए जाते थे। यह मंदिर उस समय के कुश्ती अखाड़े का हिस्सा था, जो अब लुप्त हो चुका है, लेकिन हनुमान जी की मूर्ति आज भी भक्तों को आशीर्वाद देती है।


स्थानीय मान्यता के अनुसार, अंबाला हनुमान मंदिर का निर्माण मुगल सल्तनत के दौरान हुआ था। उस समय यहाँ एक प्रसिद्ध कुश्ती अखाड़ा था, जहाँ पहलवान बजरंग बली का आशीर्वाद लेकर दंगल करते थे।


मंदिर के सामने एक हाईवे था, और जब औरंगजेब यहाँ से गुजरते थे, तो मंदिर के पास बने पुल पर ढोल-नगाड़े बजते थे। मंदिर के सेवादार करण गिरी, जो इसकी देखभाल की दसवीं पीढ़ी से हैं, बताते हैं कि बाढ़ ने अखाड़े को नष्ट कर दिया, लेकिन मंदिर आज भी अडिग खड़ा है।


करण गिरी के अनुसार, अंबाला हनुमान मंदिर में स्थापित बजरंग बली की छोटी मूर्ति मुगल काल से ही यहाँ है।


उस समय मंदिर साधारण था, लेकिन आज इसकी सुंदरता टाइल्स और आधुनिक सजावट से बढ़ गई है। भक्त प्रतिदिन यहाँ दर्शन के लिए आते हैं और हनुमान जी की कृपा की कामना करते हैं। मंदिर का ऐतिहासिक महत्व इसे और भी खास बनाता है, क्योंकि यह आस्था के साथ-साथ प्राचीन भारतीय संस्कृति का भी प्रतीक है।


अंबाला हनुमान मंदिर आज भी भक्तों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। यहाँ की कहानियाँ, जैसे औरंगजेब के समय ढोल-नगाड़ों का बजना, लोगों को इतिहास से जोड़ती हैं।


हालांकि मंदिर का प्राचीन अखाड़ा गायब हो गया है, लेकिन हनुमान जी की मूर्ति और भक्तों का विश्वास आज भी जीवित है। यह मंदिर धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर के रूप में भी महत्वपूर्ण है।