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अनोखी गर्भावस्था: महिला के लिवर में विकसित हो रहा भ्रूण

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में एक महिला के लिवर में भ्रूण के विकास का अनोखा मामला सामने आया है। 35 वर्षीय सर्वेश पिछले 12 हफ्तों से इस दुर्लभ गर्भावस्था की समस्या का सामना कर रही हैं। डॉक्टरों ने बताया कि यह इंट्राहेपैटिक एक्टोपिक प्रेग्नेंसी है, जो गर्भावस्था के दौरान भ्रूण के गर्भाशय के बाहर विकसित होने की एक गंभीर स्थिति है। जानें इस स्थिति के लक्षण, उपचार और इसके पीछे के कारणों के बारे में।
 

अनोखा गर्भावस्था मामला

अनोखी गर्भावस्था: उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक महिला के लिवर में भ्रूण का विकास हो रहा था। यह स्थिति किसी भी महिला के लिए बेहद खास होती है, लेकिन जब यह उसकी जान के लिए खतरा बन जाए, तो स्थिति गंभीर हो जाती है। दस्तूरा गांव की 35 वर्षीय सर्वेश पिछले 12 हफ्तों से इस दुर्लभ गर्भावस्था की समस्या का सामना कर रही हैं, जिसे इंट्राहेपैटिक एक्टोपिक प्रेग्नेंसी कहा जाता है।


महिला की स्थिति

सर्वेश ने 12 हफ्तों तक गर्भवती होने का अनुभव किया, लेकिन उनके पीरियड्स सामान्य रूप से आते रहे। इस कारण डॉक्टरों को गर्भावस्था का संदेह नहीं हुआ। उन्हें पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द महसूस होता था, जिसे गैस समझकर नजरअंदाज किया गया। जब दर्द बढ़ा, तो डॉक्टर ने अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दी, जिसमें यह पता चला कि उनके लिवर में भ्रूण विकसित हो रहा है।


इंट्राहेपैटिक एक्टोपिक प्रेग्नेंसी क्या है?

डॉक्टरों के अनुसार, यह इंट्राहेपैटिक एक्टोपिक प्रेग्नेंसी की स्थिति है, जो गर्भावस्था के दौरान भ्रूण के गर्भाशय के बाहर विकसित होने की एक दुर्लभ स्थिति है। इस मामले में भ्रूण का विकास महिला के लिवर में हो रहा था, जो न केवल चौंकाने वाला था, बल्कि उनकी जान के लिए भी खतरा था।


बचाव के उपाय

डॉक्टर सानिया जेहरा ने बताया कि सर्वेश को इस गर्भावस्था से छुटकारा पाना आवश्यक था, क्योंकि समय बीतने पर उनके लिवर में फटने का खतरा था। सर्वेश की सर्जरी सफल रही, जिसमें उन्हें पेट के हिस्से में 21 टांके लगे। सर्जरी के बाद उन्हें भारी सामान उठाने और भारी भोजन से बचने की सलाह दी गई।


सर्वेश के लक्षण

सर्वेश को गर्भावस्था के दौरान तेज दर्द, उल्टियां, दस्त और बुखार का सामना करना पड़ा। जब उन्हें पता चला कि उनका भ्रूण लिवर में विकसित हो रहा है, तो वह और उनके पति दोनों दंग रह गए। इस स्थिति का इलाज केवल सर्जरी से संभव था।


इंट्राहेपैटिक एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का कारण

डॉक्टर पारुल दहिया ने बताया कि इस प्रकार की गर्भावस्था में फर्टिलाइज्ड एग शरीर के किसी अन्य अंग में इंप्लांट हो जाता है। यह स्थिति तब होती है जब एग फैलोपियन ट्यूब में मिलकर किसी अन्य अंग से चिपक जाता है, जैसे कि सर्वेश के मामले में लिवर से।


विशेषज्ञों की राय

बीएचयू की डॉक्टर ममता सिंह ने बताया कि कई मामलों में भ्रूण ऐसे अंगों पर चिपक जाता है, जहां मां और बच्चे दोनों की जान को खतरा होता है। लिवर में खून की अच्छी मात्रा होने के कारण भ्रूण वहां तेजी से विकसित हो सकता है।


इंट्राहेपैटिक प्रेग्नेंसी की दुर्लभता

डॉक्टर मोनिका के अनुसार, यह स्थिति विश्व में 70 से 80 लाख महिलाओं में से किसी एक को होती है। अब तक इसके केवल 45 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें भारत में बुलंदशहर का मामला भी शामिल है।