अमित शाह ने सहकारिता वर्ष पर अहमदाबाद में किया संवाद
सहकारिता संवाद का आयोजन
इस संवाद में उन्होंने त्रिभुवनदास पटेल के नाम पर आणंद जिले में त्रिभुवन सहकारिता यूनिवर्सिटी के शिलान्यास की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह यूनिवर्सिटी सहकारिता क्षेत्र में युवा पेशेवरों को तैयार करने के उद्देश्य से स्थापित की जा रही है। त्रिभुवनदास जी ने सहकारिता की नींव रखी थी, जिसके कारण आज गुजरात की डेयरी क्षेत्र में 36 लाख महिलाएं 80 हजार करोड़ रुपये का व्यापार कर रही हैं।
शाह ने कहा कि जब संसद में इस यूनिवर्सिटी का नाम त्रिभुवनदास जी के नाम पर रखने की घोषणा की गई, तो कुछ लोगों ने सवाल उठाया कि यह व्यक्ति कौन है। उन्होंने कहा कि यह सवाल उचित नहीं था, क्योंकि त्रिभुवनदास जी ने अपने कार्यों के माध्यम से पहचान बनाई है।
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि सरकार डेयरी क्षेत्र में कई बदलाव लाने की योजना बना रही है। आने वाले समय में सहकारी डेयरियों में गोबर प्रबंधन, पशुओं के खानपान और स्वास्थ्य प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि देशभर में छोटे-छोटे प्रयोग किए जा रहे हैं, जिनके परिणामों को सहकारी संस्थाओं तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। अगले कुछ वर्षों में गोबर का उपयोग ऑर्गेनिक खाद और गैस बनाने के लिए किया जाएगा।
शाह ने दूध उत्पादक मंडियों से आग्रह किया कि वे अपनी सहकारी संस्थाओं में त्रिभुवनदास जी की तस्वीर लगाएं ताकि लोग उनके योगदान से परिचित हो सकें।
उन्होंने कहा कि पैक्स को विभिन्न गतिविधियों से जोड़ा गया है और पैक्स से जुड़ी सेवाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है।
अमित शाह ने किसानों को एनसीसीएफ के ऐप पर पंजीकरण करने की सलाह दी, जिससे वे न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अपनी फसल बेच सकें।
उन्होंने प्राकृतिक खेती के महत्व पर भी जोर दिया और कहा कि यह एक वैज्ञानिक प्रयोग है जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।
अंत में, उन्होंने ऊंटनी के दूध के औषधीय गुणों पर शोध कार्य की जानकारी दी और बताया कि राजस्थान और गुजरात सरकार मिलकर एक योजना लाने वाली है।