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अमेरिका का ईरान के परमाणु स्थलों पर हमला: पेंटागन की रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य

हाल ही में अमेरिका ने ईरान के परमाणु स्थलों पर हमले के बाद पेंटागन की एक रिपोर्ट लीक की है, जिसमें दावा किया गया है कि हमले से ईरान के परमाणु कार्यक्रम को कोई गंभीर नुकसान नहीं हुआ। राष्ट्रपति ट्रंप ने हमले को सफल बताते हुए मीडिया रिपोर्टों को फेक न्यूज करार दिया है। जानें इस विवादास्पद स्थिति के पीछे की सच्चाई और क्या है पेंटागन की रिपोर्ट में।
 

अमेरिका की सीधी एंट्री

ईरान के परमाणु सुविधाओं पर इजरायल के हमले के बावजूद, अमेरिका ने अपने बी2 बॉम्बर्स के माध्यम से इस संघर्ष में सीधे तौर पर भाग लिया। अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु स्थलों, नतांज, फोर्डो और इस्फहान को निशाना बनाया। इसके बाद, राष्ट्रपति ट्रंप ने दावा किया कि हमने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह से नष्ट कर दिया है। हालाँकि, पेंटागन की लीक हुई रिपोर्ट में एक अलग कहानी सामने आई है।


पेंटागन की रिपोर्ट का खुलासा

पेंटागन द्वारा तैयार की गई अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, 20 जून को ईरान के परमाणु स्थलों पर अमेरिकी हमले ने तेहरान के परमाणु कार्यक्रम के मुख्य घटकों को कोई नुकसान नहीं पहुँचाया। इसके बजाय, इस हमले ने केवल कार्यक्रम में महीनों की देरी की है। यह रिपोर्ट रक्षा खुफिया एजेंसी (डीआईए) द्वारा तैयार की गई थी, जो अमेरिकी सेंट्रल कमांड के आकलन पर आधारित है।


ट्रंप के दावे और मीडिया की प्रतिक्रिया

रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी हमलों के बाद साइटों पर हुए नुकसान का विश्लेषण अभी भी चल रहा है, और नई खुफिया जानकारी के आधार पर इसमें बदलाव संभव है। पेंटागन की प्रारंभिक रिपोर्ट ट्रंप के दावों का खंडन करती है कि बी-2 स्टील्थ बॉम्बर्स द्वारा किए गए हमलों में ईरान की परमाणु सुविधाएं पूरी तरह से नष्ट हो गईं। राष्ट्रपति ट्रंप ने मीडिया रिपोर्टों को फेक न्यूज करार देते हुए कहा कि हमलों में लक्षित स्थान पूरी तरह से नष्ट हो गए हैं।


व्हाइट हाउस की प्रतिक्रिया

व्हाइट हाउस ने इस आकलन को 'पूरी तरह से गलत' बताते हुए कहा कि यह राष्ट्रपति ट्रंप को 'नीचा दिखाने का प्रयास' है। ट्रंप ने सोशल मीडिया पर लिखा कि सीएनएन और न्यूयॉर्क टाइम्स जैसे मीडिया हाउस इतिहास के सबसे सफल सैन्य हमलों में से एक को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं।