आंखों की सेहत के संकेत: गंभीर बीमारियों का पता कैसे लगाएं
आंखों की सेहत के संकेत
आंखों की सेहत के संकेत: कहा जाता है कि आंखें आत्मा की खिड़की होती हैं, लेकिन यह भी सच है कि ये शरीर की स्वास्थ्य स्थिति का भी संकेत देती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, एक साधारण आंखों की जांच न केवल दृष्टि से जुड़ी समस्याओं को उजागर करती है, बल्कि यह डायबिटीज, ब्रेन ट्यूमर, कैंसर, उच्च रक्तचाप और अन्य गंभीर बीमारियों के प्रारंभिक संकेत भी दे सकती है। इसलिए, आंखों की नियमित जांच को नजरअंदाज करना भविष्य में गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।
बीमारियों के लक्षण
बीमारियों के लक्षण
विशेषज्ञों का कहना है कि एक अनुभवी ऑप्टोमेट्रिस्ट आंखों की जांच के दौरान उन लक्षणों की पहचान कर सकता है जो शरीर में हो रहे परिवर्तनों का संकेत देते हैं। इनमें से एक प्रमुख समस्या है डायबिटिक रेटिनोपैथी, जो तब होती है जब आंखों के रेटिना में रक्त की नाजुक नसें शुगर के असंतुलन के कारण क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। प्रारंभिक अवस्था में इसके कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते, लेकिन जैसे-जैसे यह बढ़ती है, व्यक्ति को देखने में कठिनाई, धुंधलापन, काले धब्बे या धागों का दिखना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। यदि इसका समय पर पता नहीं लगाया गया, तो यह स्थायी दृष्टिहीनता का कारण बन सकता है। ऑप्टोमेट्रिस्ट पुतलियों को फैलाकर जांच करके इस समस्या की पहचान कर सकते हैं और त्वरित उपचार की सलाह देते हैं।
कैंसर का पता लगाना
कैंसर का पता लगाना
आंखों की जांच से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का भी पता लगाया जा सकता है। आंखों के अंदर दिखाई देने वाले गहरे धब्बे, असामान्य रक्त नलिकाएं या सूजन, ओकुलर मेलानोमा और इंट्राओकुलर कैंसर जैसे मामलों का संकेत दे सकते हैं। ये स्थितियां गंभीर होती हैं और समय पर इलाज न होने पर जानलेवा हो सकती हैं। कई बार ये लक्षण बाहरी रूप से नजर नहीं आते, लेकिन आंखों के डॉक्टर उन्हें जांच के दौरान पहचान सकते हैं। इसके अलावा, आंखों के माध्यम से ब्रेन ट्यूमर और अन्य मस्तिष्क संबंधी समस्याओं का भी संकेत मिल सकता है।
अन्य बीमारियों का पता
अन्य बीमारियों का पता
डायबिटीज और कैंसर के अलावा, आंखों की जांच से उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल, मल्टीपल स्क्लेरोसिस, ल्यूपस और रुमेटॉइड आर्थराइटिस जैसी बीमारियों के संकेत भी मिल सकते हैं। ये बीमारियां रेटिना में रक्त की नसों में बदलाव के रूप में प्रकट होती हैं, जिसे विशेषज्ञ आसानी से पहचान सकते हैं। कई बार मरीज इन परिवर्तनों को महसूस नहीं करते, लेकिन नियमित आंखों की जांच इस खतरे को समय पर उजागर कर सकती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि आंखों की जांच साल में एक बार या कम से कम हर दो साल में करानी चाहिए। विशेष रूप से, जिन लोगों को डायबिटीज, उच्च रक्तचाप या कोई आनुवंशिक बीमारी है, उन्हें यह जांच हर छह महीने में करानी चाहिए।
जान बचाने के उपाय
जान बचाने के उपाय
यदि ओकुलर मेलानोमा और अन्य आंखों से संबंधित कैंसर का जल्दी पता चल जाए, तो न केवल मरीज को बेहतर इलाज मिल सकता है, बल्कि उसकी जान भी बचाई जा सकती है। इसी तरह, डायबिटिक रेटिनोपैथी या अन्य बीमारियों के प्रारंभिक संकेत मिलने पर उन्हें बढ़ने से पहले ही रोका जा सकता है। इसलिए, अगली बार जब आप आंखों में हल्की सी भी समस्या महसूस करें या लंबे समय से जांच न करवाई हो, तो उसे नजरअंदाज न करें। एक साधारण आंखों की जांच आपके भविष्य को संवार सकती है और गंभीर बीमारियों से आपको समय पर बचा सकती है।