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आंध्र प्रदेश में श्रम कानूनों में बदलाव: नायडू की नई नीतियों का असर

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने श्रम कानूनों में बदलाव की योजना बनाई है, जिसमें कर्मचारियों के काम के घंटे बढ़ाने और नाइट शिफ्ट में महिलाओं को शामिल करने का प्रस्ताव है। इस बदलाव का असर नौकरीपेशा लोगों पर पड़ सकता है, जिससे कई मजदूर संगठन विरोध कर रहे हैं। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा जा रहा है और नायडू की योजनाओं का क्या प्रभाव पड़ेगा।
 

चंद्रबाबू नायडू का विकास मॉडल

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को विकास का प्रतीक माना जाता है। जब भी वे मुख्यमंत्री बने, उन्होंने केंद्र सरकार से धन जुटाकर अपने राज्य में बुनियादी ढांचे का विकास किया। उनकी योजनाओं और नीतियों ने हैदराबाद को सूचना प्रौद्योगिकी का केंद्र बना दिया। इस बार, वे केंद्र की भाजपा सरकार के साथ मिलकर तीन लाख करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट लाने का दावा कर रहे हैं। वे विजयवाड़ा को राजधानी बनाने की अपनी महत्वाकांक्षी योजना को आगे बढ़ा रहे हैं। हालांकि, इस विकास का बोझ नौकरीपेशा लोगों और पेशेवरों पर पड़ सकता है।


श्रम कानूनों में बदलाव

चंद्रबाबू नायडू की सरकार ने श्रम कानूनों में बदलाव की योजना बनाई है। राज्य सरकार अब यह नीति बनाने जा रही है कि आंध्र प्रदेश में निजी कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों को रोजाना 9 घंटे के बजाय 10 घंटे काम करना होगा। इसके अलावा, ओवरटाइम और नाइट शिफ्ट के नियमों में भी बदलाव किया जा रहा है। अब महिलाएं भी नाइट शिफ्ट में काम कर सकेंगी। पहले के नियम के अनुसार, कर्मचारियों को ओवरटाइम या नाइट शिफ्ट के लिए पेड हॉलीडे मिलता था, लेकिन अब यह प्रबंधन की मर्जी पर निर्भर करेगा। कई मजदूर संगठन इस बदलाव का विरोध कर रहे हैं, उनका कहना है कि इससे वे मजदूरों से गुलाम में बदल जाएंगे। विपक्ष का कहना है कि चंद्रबाबू नायडू केंद्र सरकार के इशारे पर यह बदलाव कर रहे हैं।