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आर्मूर हल्दी को जीआई टैग दिलाने की प्रक्रिया में तेजी

तेलंगाना के निज़ामाबाद जिले में आर्मूर हल्दी को भौगोलिक संकेतक (जीआई) टैग दिलाने की प्रक्रिया में तेजी आई है। विशेषज्ञों की एक टीम ने हाल ही में खेतों का दौरा किया, जहां उन्होंने हल्दी की गुणवत्ता और विशेषताओं का अध्ययन किया। इस प्रक्रिया का उद्देश्य आर्मूर हल्दी को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाना है, जिससे किसानों को बेहतर मूल्य मिल सके। जानें इस दौरे के दौरान विशेषज्ञों ने क्या पाया और जीआई टैग मिलने की संभावनाएँ क्या हैं।
 

आर्मूर हल्दी की विशेषताएँ और जीआई टैग प्रक्रिया

तेलंगाना के निज़ामाबाद जिले के आर्मूर क्षेत्र की हल्दी को भौगोलिक संकेतक (जीआई) टैग दिलाने की प्रक्रिया में तेजी आई है। इस महत्वपूर्ण कदम के तहत, विशेषज्ञों की एक टीम ने हाल ही में आर्मूर के खेतों का दौरा किया, ताकि इस विशेष हल्दी की गुणवत्ता और अद्वितीय विशेषताओं का प्रत्यक्ष अध्ययन किया जा सके।

नाबार्ड, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, भारतीय खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी संस्थान और प्रोफेसर जयशंकर तेलंगाना राज्य कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने मिलकर यह दौरा किया। उनका मुख्य उद्देश्य आर्मूर हल्दी के विशिष्ट गुणों जैसे गहरे रंग, तीव्र सुगंध, उच्च करक्यूमिन सामग्री, और बल्ब के आकार और सघनता का प्रत्यक्ष अवलोकन करना था।

विशेषज्ञों ने किसानों से विस्तार से बातचीत की, उनकी खेती के तरीकों को समझा, मिट्टी और जलवायु की स्थिति का मूल्यांकन किया और हल्दी के नमूने एकत्र किए। यह फील्ड विजिट जीआई टैग आवेदन प्रक्रिया का एक अनिवार्य हिस्सा है, जिसमें उत्पाद की विशिष्टता और भौगोलिक उत्पत्ति की पुष्टि की जाती है।

जीआई टैग मिलने से आर्मूर हल्दी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक विशेष पहचान मिलेगी, जिससे नकली उत्पादों से बचा जा सकेगा। यह किसानों को उनके उत्पाद का बेहतर मूल्य दिलाने और क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद करेगा। विशेषज्ञों ने आर्मूर हल्दी की गुणवत्ता से प्रभावित होकर इस प्रक्रिया के सफल होने की उम्मीद जताई है। इस दौरे से आर्मूर हल्दी को जल्द ही प्रतिष्ठित जीआई टैग मिलने की संभावना और प्रबल हो गई है।