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आर्य समाज दक्षिण अफ्रीका का प्रतिनिधिमंडल खटकड़ पहुंचा

खटकड़ गांव में आर्य समाज दक्षिण अफ्रीका का प्रतिनिधिमंडल युवा संन्यासी स्वामी आदित्यवेश के साथ पहुंचा। यह यात्रा वैदिक संस्कृति के प्रचार और भारत-दक्षिण अफ्रीका के सांस्कृतिक संबंधों पर चर्चा के लिए महत्वपूर्ण है। स्वामी वेदानंद ने आर्य समाज के वैश्विक संदेश पर जोर दिया, जबकि प्रतिनिधिमंडल ने स्वामी आदित्यवेश को दक्षिण अफ्रीका आने का आमंत्रण दिया। जानें इस महत्वपूर्ण मुलाकात के बारे में और भी जानकारी।
 

आर्य समाज का वैश्विक संदेश



  • आर्य समाज मानवता की भावना को बढ़ावा दे रहा है: स्वामी वेदानंद

  • वैदिक संस्कृति की गहराई पर प्रकाश डाला: स्वामी आदित्यवेश


जींद। खटकड़ गांव में गुरुवार को आर्य समाज दक्षिण अफ्रीका का एक प्रतिनिधिमंडल युवा संन्यासी स्वामी आदित्यवेश के साथ आया। यह खटकड़ आर्य समाज की पहली यात्रा है, जिसे 1907 में स्वतंत्रता सेनानी स्वामी श्रद्धानंद ने स्थापित किया था। इस दौरान, आर्य समाज के सिद्धांतों, वैदिक संस्कृति के प्रचार और भारत-दक्षिण अफ्रीका के सांस्कृतिक संबंधों पर चर्चा की गई।


स्वामी आदित्यवेश और उनकी टीम ने प्रतिनिधिमंडल का पारंपरिक स्वागत किया, जिसमें पगड़ी, शॉल, अंगवस्त्र और वैदिक साहित्य भेंट किए गए। उन्होंने कहा कि यह मुलाकात न केवल आत्मीयता का प्रतीक है, बल्कि वैश्विक स्तर पर वैदिक संस्कृति के पुनर्जागरण की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम है। इस अवसर पर, आर्य प्रतिनिधि सभा दक्षिण अफ्रीका के अध्यक्ष पंडित किरण सतगुर ने बताया कि उनके पूर्वजों को लगभग 150 वर्ष पहले अंग्रेजों द्वारा बंधुआ मजदूर बना कर दक्षिण अफ्रीका भेजा गया था।


धर्म और संस्कृति का संरक्षण

कठिन परिस्थितियों में भी उन्होंने अपने धर्म और संस्कृति को जीवित रखा। आज भारत में आकर उनका हृदय गर्व से भर गया है। दक्षिण अफ्रीका में धर्मगुरु स्वामी वेदानंद सरस्वती ने कहा कि आर्य समाज 'मनुर्भव' (श्रेष्ठ मानव बनो) का संदेश फैलाकर जाति, भाषा और देश के भेदभाव से ऊपर उठकर मानवता की भावना को सशक्त बना रहा है। प्रतिनिधि मंडल के सदस्य डॉ. विश्राम रामविलास ने बताया कि दक्षिण अफ्रीका सहित कई देशों में वैदिक धर्म और आर्य समाज का प्रचार हिंदी और संस्कृत के माध्यम से किया जा रहा है।


प्रतिनिधि मंडल ने स्वामी आदित्यवेश को दक्षिण अफ्रीका आने का आमंत्रण दिया ताकि वहां आर्य समाज के कार्यों और वैदिक शिक्षा के प्रसार को नई दिशा मिल सके। कार्यक्रम के अंत में, सार्वदेशिक आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी आदित्यवेश ने कहा कि भारतीय संस्कृति की जड़ें अत्यंत गहरी हैं।


प्रतिनिधि मंडल की संरचना

यह देखकर गर्व होता है कि हजारों किलोमीटर दूर रह रहे भारतीय वंशज आज भी वेदों और वैदिक मूल्यों से जुड़े हुए हैं। आर्य युवक परिषद के प्रदेश महासचिव अशोक आर्य ने कहा कि यह हमारे गांव का सौभाग्य है कि विदेश से अतिथि हमारे गांव में आए हैं। प्रतिनिधि मंडल में कुल पांच सदस्य शामिल थे, जिनमें पंडित किरण सतगुर, स्वामी वेदानंद सरस्वती, डॉ. विश्राम रामविलास, स्वामी मैत्रेय और सिंधु भोगल शामिल हैं।