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आश्विन प्रदोष व्रत 2025: पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

आश्विन प्रदोष व्रत 2025 का महत्व और पूजा विधि जानें। इस विशेष दिन भगवान शिव की कृपा पाने के लिए सही समय और विधि का पालन करें। 4 अक्टूबर को मनाए जाने वाले इस व्रत के दौरान विशेष पूजा विधियों का पालन करना आवश्यक है। जानें कैसे इस दिन को खास बनाएं और अपने जीवन में सुख-समृद्धि लाएं।
 

आश्विन प्रदोष व्रत 4 अक्टूबर: महत्व और पूजा

आश्विन प्रदोष व्रत 2025: भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। हर महीने दो बार प्रदोष व्रत मनाया जाता है - एक शुक्ल पक्ष में और दूसरा कृष्ण पक्ष में। इस दिन शिवजी और माता पार्वती की पूजा से सुख और समृद्धि प्राप्त होती है, साथ ही जीवन के संकट भी दूर होते हैं। आइए जानते हैं अक्टूबर 2025 में प्रदोष व्रत कब है, इसका शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि।


अक्टूबर 2025 में प्रदोष व्रत की तिथि

आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 4 अक्टूबर को शाम 5:08 बजे प्रारंभ होगी और 5 अक्टूबर को दोपहर 3:04 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, 4 अक्टूबर को प्रदोष व्रत मनाया जाएगा। चूंकि यह दिन शनिवार है, इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है।


प्रदोष व्रत पूजा का मुहूर्त

प्रदोष व्रत में प्रदोष काल की पूजा का विशेष महत्व है। प्रदोष काल सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और बाद का समय होता है। मान्यता है कि इस समय शिवजी की पूजा करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है।


प्रदोष व्रत की पूजा विधि

प्रदोष व्रत की शुरुआत सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके करें। पूजा स्थल को साफ करें और रंगोली बनाएं। उत्तर-पूर्व दिशा या अपने घर के मंदिर की दिशा में मुंह करके शिवजी की पूजा करें। "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करें और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। रोगों से मुक्ति के लिए किसी शिव मंदिर में कुश और गंगा जल से रुद्राभिषेक करें।


पूरे दिन फलाहार व्रत रखें और शाम को मंदिर अवश्य जाएं। अन्न और वस्त्र का दान करें, गरीबों को भोजन बांटें, और अस्पतालों में मरीजों को फल दें। इस दिन बेल का पेड़ लगाना कई जन्मों के पापों को नष्ट करता है और अनंत पुण्य प्रदान करता है। शिवपुराण का पाठ करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है।