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इंडिगो ने सरकार को नियम वापस लेने पर मजबूर किया

इंडिगो एयरलाइन ने हाल ही में एक हजार से अधिक उड़ानें रद्द कर दीं, जिससे यात्रियों में हड़कंप मच गया। इसके चलते नागरिक विमानन महानिदेशालय ने नियमों में राहत देने का निर्णय लिया। जानें कैसे इंडिगो ने सरकार को नियम वापस लेने के लिए मजबूर किया और इसके पीछे की कहानी क्या है।
 

इंडिगो की उड़ानों में रद्दीकरण का संकट

नई दिल्ली। आजाद भारत के इतिहास में यह पहली बार है जब एक निजी एयरलाइन ने भारत सरकार को झुकने के लिए मजबूर किया है। इंडिगो एयरलाइन ने पायलटों और चालक दल के सदस्यों के लिए बनाए गए नए नियमों को वापस लेने के लिए सरकार पर दबाव डाला। शुक्रवार को, इंडिगो ने एक हजार से अधिक उड़ानें रद्द कर दीं, जबकि इससे पहले दो दिन में 700 से ज्यादा उड़ानें रद्द की गई थीं। यात्रियों की बढ़ती परेशानियों को देखते हुए नागरिक विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने इंडिगो को 10 फरवरी 2026 तक अस्थायी राहत देने का निर्णय लिया।


डीजीसीए द्वारा नियम वापस लेने के बाद, इंडिगो ने घोषणा की कि 10 से 15 दिसंबर के बीच उसकी सेवाएं सामान्य रूप से चलने लगेंगी। इससे पहले, लगातार उड़ानें रद्द होने के कारण इंडिगो के अधिकारियों ने गुरुवार को डीजीसीए से मुलाकात की थी, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। इसके बाद, शुक्रवार की सुबह इंडिगो ने दिल्ली और हिंडन से अपनी सभी उड़ानें रद्द करने का ऐलान किया, जिससे देशभर के हवाई अड्डों पर अफरातफरी मच गई और डीजीसीए को अपना निर्णय वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा।


यह ध्यान देने योग्य है कि डीजीसीए ने 1 नवंबर से पायलटों और चालक दल के सदस्यों के कार्य से संबंधित नियम, फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (एफडीटीएल) का दूसरा चरण लागू किया था। पहले चरण को 1 जुलाई को लागू किया गया था। एफडीटीएल के दूसरे चरण में यह अनिवार्य किया गया था कि एयरलाइनों को पायलटों को हर हफ्ते 48 घंटे का आराम देना होगा। इसके अलावा, पायलटों को दो दिनों का वीकली रेस्ट देना भी अनिवार्य किया गया है।


डीजीसीए ने पायलटों और चालक दल के सदस्यों के लगातार नाइट शिफ्ट पर भी प्रतिबंध लगाया था और नाइट लैंडिंग की संख्या को दो पर सीमित कर दिया था। इन नियमों को लागू करने के लिए पर्याप्त संख्या में पायलटों की भर्ती की आवश्यकता थी। अन्य एयरलाइनों के पास उड़ानों की तुलना में अधिक पायलट हैं, लेकिन इंडिगो, जो सबसे बड़ी एयरलाइन है, के पास कम पायलट हैं। फिर भी, उसने भर्ती नहीं की और जब नियम लागू करने का समय आया, तो उड़ानें रद्द करनी शुरू कर दीं।


इस प्रकार, इंडिगो ने यात्रियों को परेशान करके सरकार को मजबूर किया कि वह नियमों में राहत दे। अब पायलटों और चालक दल के सदस्यों को पहले की तरह हर हफ्ते 36 घंटे का आराम मिलेगा। उल्लेखनीय है कि पायलटों और चालक दल की कमी के कारण नवंबर में भी इंडिगो की 1200 से अधिक उड़ानें रद्द हुई थीं। एक सर्वेक्षण के अनुसार, इंडिगो के 54 प्रतिशत यात्री लेटलतीफी और चालक दल के व्यवहार से असंतुष्ट हैं। पिछले एक साल में शिकायतों की संख्या में 63 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।