इंस्टेंट नूडल्स के सेवन से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव
इंस्टेंट नूडल्स आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में एक लोकप्रिय भोजन बन गए हैं। हालांकि, इनके नियमित सेवन से स्वास्थ्य पर कई नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, हफ्ते में 2-3 बार इनका सेवन करने से दिल का दौरा, स्ट्रोक और टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है। जानें कि इंस्टेंट नूडल्स के सेवन से क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं और क्यों इन्हें सीमित करना चाहिए।
Sep 30, 2025, 17:58 IST
इंस्टेंट नूडल्स: एक लोकप्रिय लेकिन हानिकारक विकल्प
आजकल की तेज़ रफ्तार जिंदगी में, इंस्टेंट नूडल्स ने लोगों के बीच एक लोकप्रिय भोजन का रूप ले लिया है। यह जल्दी बन जाते हैं और स्वाद में भी अच्छे होते हैं। जब घर की सब्जियाँ बोरिंग लगती हैं, तो लोग इंस्टेंट नूडल्स का सहारा लेते हैं। हालांकि, इनमें उच्च मात्रा में मैदा होता है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। इसके अत्यधिक सेवन से वजन बढ़ने का खतरा रहता है।
यदि आप सोचते हैं कि इंस्टेंट नूडल्स का सेवन केवल वजन बढ़ाने का कारण बनता है, तो यह आपकी गलतफहमी है। नियमित रूप से इनका सेवन करने से शरीर को कई तरह के नुकसान हो सकते हैं। अगर आप हफ्ते में 2-3 बार इंस्टेंट नूडल्स का सेवन करते हैं, तो यह वास्तव में हानिकारक हो सकता है। आइए जानते हैं इसके सेवन से होने वाले नुकसान।
इंस्टेंट नूडल्स के सेवन से स्वास्थ्य पर प्रभाव
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, यदि आप हफ्ते में 2-3 बार इंस्टेंट नूडल्स का सेवन करते हैं, तो इससे दिल का दौरा, स्ट्रोक और टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है। इन नूडल्स में उच्च मात्रा में सोडियम होता है, जो रक्तचाप को बढ़ा सकता है।
- इनमें रिफाइंड कार्ब्स की अधिकता होती है, जिससे रक्त शर्करा का स्तर बढ़ सकता है।
- इसमें मौजूद एमएसजी और अन्य एडिटिव्स आंत और मस्तिष्क के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके अलावा, इनमें प्रोटीन और फाइबर की कमी होती है, जिससे इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है और भूख बढ़ सकती है।
- इसके सेवन से रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है, जिससे हृदय रोग का खतरा बढ़ता है। यह शरीर को भी कमजोर कर सकता है।
- लंबे समय तक इंस्टेंट नूडल्स का सेवन करने से स्ट्रोक, डायबिटीज और अन्य कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, पैकेजिंग में मौजूद बीपीए एक हानिकारक रसायन है, जो शरीर के प्राकृतिक संतुलन को बिगाड़ सकता है। यह हार्मोनल समस्याएं भी उत्पन्न कर सकता है और प्रजनन क्षमता में बाधा डाल सकता है।