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ईरान में परमाणु हमले के बाद रेडिएशन लीक का खतरा: जानें संभावित प्रभाव

हाल ही में अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर किए गए हमले के बाद रेडिएशन लीक का खतरा बढ़ गया है। ईरान का दावा है कि हमले के बाद कोई रेडिएशन लीक नहीं हुआ, जबकि विशेषज्ञों का कहना है कि यदि ऐसा होता है, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। जानें इस स्थिति का स्वास्थ्य और पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ सकता है।
 

परमाणु रेडिएशन लीक का खतरा

अमेरिका ने ईरान के प्रमुख परमाणु केंद्र फोर्डो पर बंकर बस्टर बम गिराए हैं। इसके साथ ही नतांज और एस्फाहान पर टॉमहॉक मिसाइलों से हमला किया गया है। इस हमले के कारण ईरान में रेडिएशन लीक होने की आशंका जताई जा रही है। हालांकि, ईरान का दावा है कि हमले के बाद इन तीनों स्थलों से कोई रेडिएशन लीक नहीं हुआ है। जांच के लिए भेजी गई मशीनों ने भी इस बात की पुष्टि की है कि आसपास के लोग सुरक्षित हैं।


सऊदी अरब की प्रतिक्रिया

सऊदी अरब ने भी स्पष्ट किया है कि अमेरिका के हमले के बाद किसी प्रकार का रेडियोधर्मी लीक नहीं हुआ है। देश के परमाणु और रेडियोलॉजिकल विनियामक आयोग ने बताया कि ईरान के परमाणु स्थलों पर बमबारी के बाद सऊदी अरब और अन्य खाड़ी देशों पर कोई रेडियोधर्मी प्रभाव नहीं पड़ा है।


रेडिएशन लीक का संभावित प्रभाव

ईरान की परमाणु ऊर्जा संस्था (IAEA) के प्रमुख रफाएल ग्रोसी ने चेतावनी दी है कि यदि ईरान के परमाणु स्थलों से रेडिएशन लीक होता है, तो यह चेरनोबिल जैसी स्थिति उत्पन्न कर सकता है। इससे पूरे मध्य पूर्व और खाड़ी देशों में लाखों लोगों की जान को खतरा हो सकता है।


रेडिएशन लीक की प्रक्रिया

विशेषज्ञों का कहना है कि न्यूक्लियर प्लांट में सेंट्रिफ्यूज यूरेनियम को प्रोसेस करते हैं। यदि हमले के दौरान ये सेंट्रिफ्यूज ध्वस्त हो जाते हैं, तो यूरेनियम हेक्साफ्लुरोइड गैस का रिसाव हो सकता है, जो रासायनिक विकिरण का कारण बन सकती है।


रेडिएशन के स्वास्थ्य पर प्रभाव

यदि रेडिएशन लीक होता है, तो यह जानलेवा साबित हो सकता है। यह हवा, पानी और मिट्टी में फैल सकता है, जिससे त्वचा जलने, उल्टियों और बेहोशी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा, यह कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों का कारण भी बन सकता है।


पर्यावरण पर प्रभाव

ओरेगन स्टेट यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर कैथरीन एन हिगली का कहना है कि यदि ईरान के परमाणु स्थलों से रेडिएशन लीक होता है, तो यह चेरनोबिल जैसी स्थिति नहीं बनेगी। क्योंकि वहां अभी परमाणु हथियार नहीं बन रहे हैं, बल्कि केवल उनके निर्माण में इस्तेमाल होने वाली सामग्री तैयार की जा रही है।