उत्तर प्रदेश में बाढ़: मंत्री संजय निषाद की विवादास्पद टिप्पणी पर बवाल
बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में स्थिति गंभीर
उत्तर प्रदेश में गंगा और यमुना नदियों के बढ़ते जलस्तर ने कई क्षेत्रों में तबाही मचाई है। लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज और वाराणसी जैसे शहरों में भारी बारिश के कारण जलभराव और बाढ़ ने लोगों की जिंदगी को मुश्किल बना दिया है। इस बीच, राज्य के मत्स्य पालन मंत्री संजय निषाद का एक बयान चर्चा का विषय बन गया है।
विवादास्पद टिप्पणी और वायरल वीडियो
कानपुर देहात क्षेत्र में बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करते समय संजय निषाद ने एक टिप्पणी की, जो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गई। उन्होंने कहा, 'गंगा मैया गंगा पुत्रों के पैर धोने आती हैं, आदमी सीधे स्वर्ग जाता है।' यह बयान कैमरे में कैद हो गया और देखते ही देखते वायरल हो गया। लोगों ने इसे बाढ़ पीड़ितों के प्रति असंवेदनशीलता के रूप में देखा, खासकर तब जब कई परिवार अपने घरों और फसलों को खोने के दर्द से गुजर रहे थे।
विपक्ष का तीखा हमला
इस वायरल वीडियो के बाद विपक्षी दलों ने संजय निषाद और उत्तर प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने वीडियो को साझा करते हुए तंज कसा कि मंत्री जी खुद लखनऊ के पॉश इलाके में रहते हैं, और गंगा तो क्या नाली भी उनके दरवाजे पर नहीं बहती। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता शर्वेंद्र बिक्रम सिंह ने भी निषाद की टिप्पणी की निंदा की है, यह कहते हुए कि यह बाढ़ पीड़ितों की पीड़ा को नजरअंदाज करने वाला है।
निषाद की सफाई और सांस्कृतिक संदर्भ
विवाद बढ़ने के बाद संजय निषाद ने अपनी टिप्पणी पर सफाई दी है। उन्होंने कहा कि यह बयान मजाक में दिया गया था और इसका गलत अर्थ निकाला गया। उन्होंने बताया कि वह बाढ़ प्रभावित निषाद समुदाय के बीच थे, जो नदियों को अपनी आजीविका का आधार मानते हैं। उन्होंने कहा, 'दूर-दूर से लोग गंगा में स्नान के लिए आते हैं, लेकिन यहां गंगा मैया खुद आपके दरवाजे पर आई हैं।' उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी बात का सांस्कृतिक संदर्भ था।
बाढ़ की स्थिति और सरकारी चुनौतियां
उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में भारी बारिश और नदियों के उफान ने स्थिति को गंभीर बना दिया है। लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज और वाराणसी जैसे शहरों में निचले इलाकों में पानी घरों तक पहुंच गया है। कई लोग बेघर हो चुके हैं, और उनकी आजीविका पर संकट मंडरा रहा है। विपक्ष का आरोप है कि राज्य सरकार बाढ़ राहत और बचाव कार्यों में ढिलाई बरत रही है।