उत्तराखंड में बादल फटने से आई तबाही: 200 से अधिक लोग लापता
उत्तरकाशी में प्राकृतिक आपदा का कहर
उत्तराखंड में बादल फटने की घटना: उत्तरकाशी जिले के धराली और सुखी टॉप क्षेत्रों में भारी बारिश ने तबाही मचाई। इस प्राकृतिक आपदा के कारण कई घर बह गए हैं। वर्तमान में 200 से अधिक लोग लापता हैं, जबकि चार लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। लापता व्यक्तियों की खोज के लिए रेस्क्यू टीम तेजी से काम कर रही है। उत्तराखंड में इस प्रकार की आपदाएं पहले भी होती रही हैं, और अगस्त के महीने में ऐसी घटनाएं आम हैं।
उत्तरकाशी में चार लोगों की मौत
5 अगस्त को उत्तरकाशी में बादल फटने की घटना में चार लोगों की जान चली गई। लापता लोगों में से नौ सेना के जवान भी शामिल हैं। धराली गांव में मलबे के साथ बहने वाले होटल, घर और दुकानें पूरी तरह से नष्ट हो गई हैं। रात भर बचाव कार्य जारी है।
जून में भी बादल फटने की घटना
जून 2025 में यमुनोत्री हाईवे पर भी बादल फटने से कुछ लोग बह गए थे। उस समय एक होटल का निर्माण कार्य चल रहा था, जिसमें काम कर रहे मजदूरों में से दो की मौत हो गई और कई अब भी लापता हैं।
अगस्त 2024 में रुद्रप्रयाग में तबाही
पिछले साल अगस्त में रुद्रप्रयाग जिले में बादल फटने से 11 लोगों की जान गई थी। राहत कार्य के दौरान कई शव मलबे से मिले थे। इस घटना का तीर्थयात्रा पर भी असर पड़ा था।
1998 में कुदरत का तांडव
1998 में मालपा (पिथोरागढ़) में बादल फटने से 221 लोगों की मौत हुई थी। इस आपदा ने पूरे गांव को मिटा दिया था। इस घटना में भारतीय करालकार प्रेतिमी बेदी की भी जान गई थी।
अन्य बादल फटने की घटनाएं
जुलाई 2024 में टिहरी के घनसाली क्षेत्र में बादल फटने से एक ही परिवार के तीन लोग मारे गए। इसी साल 31 जुलाई को पिथौरागढ़ में फिर से बादल फटने की घटना हुई, जिसमें 11 लोगों की मौत हुई। 2012 में उखीमठ में बादल फटने से 33 लोग मारे गए थे।